Wednesday, November 4, 2015

शुभाशीषः ।🌺
यावत् तोयधराधरा धर धरा धारा धरा भूधरा ।
यावत् चारुसुचारु चारु चमरं चामीकरं चामरम् ।
यावत् रावण रामरामरमणं
रामायणं श्रुयते ।
तावत् भोग विभोगभोगमतुलं भोगायते नित्यशः ।।

7 comments:

  1. could give Hindi meaning of this verse?

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  2. अर्थ लिख दीजिए

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    1. कृपया श्लोक का अर्थ लिखें!

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    2. क्या आपके सम्पर्क में ऐसे कोई विद्वान नहीं हैं जो इस श्लोक का अर्थ लिख सकें? पाठक कब से मांग कर रहे हैं?

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    3. जब तक आकाश गंगा पृथ्वी के पर्वतों पर गिरती रहती है और पृथ्वी पर धाराएँ बरसाती रहती है, तब तक जगत् को आनन्द पहुँचाने वाले यदुवंशी श्री कृष्ण की कथा उस समय निकलने वाली मन्द वायु के समान आनन्द देती रहती है। ताड़ के पत्ते झूलते हैं,
      जब तक संसार में राम और अराम (रावण) के युद्ध में राम की विजय की रामायण कथा सुनी या जानी जाती है।
      तब तक आप दीर्घायु हों और इस भोगभवन अर्थात् पृथ्वी पर प्रसिद्धि पा सकें।

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