Sunday, November 8, 2015

|| पांच प्रकार के ( अनुरागी ) बडभागी ||


     

श्री मानस  जी  में  मुख्यतः  पांच  प्रकार  के  (  अनुरागी ) बडभागी  का  वर्णन  मिलता  है  उनकी  पदवी  में  कलिपावनावतार मानसकार ने  अंतर  किये  हैं
      यथा ●
   बडभागी 
1 . सुनु जननी सोइ सुत बडभागी ।
जो पितु मातु वचन अनुरागी
      अति बडभागी 
हम सब सेवक अति बडभागी ।
संतत सगुन व्रह्म अनुरागी ।।
     अतिसय बडभागी 
अतिसय बडभागी चरनन्हि लागी युगल नयन जलधार बही ।।
    परम बडभागी  
राम काज कारण तनु त्यागी ।
हरि पुर गयउ परम बडभागी ।।
  निरुपम बडभागी 
हनूमान सम नहिँ बडभागी ।
नहिँ कोउ राम चरण अनुरागी ।।
गिरिजा जासु प्रीति सेवकाई ।
बार बार प्रभु निज मुख गाई ।।
     पाँचों  बद्भागियों  को  उनके  सेवा कार्य के  अनुसार श्री बाबा जी  नें  स्थान  दिया  है
       भाव के  आधार  पर  लिखित  शब्दों  में  या  मेरे  अनुराग  में  कोई  त्रुटि हो  तो  विद्वत समुदाय  क्षमा  करें  ।
    समयाभाव वश  उपस्थिति  कम  हो  पा  रही  है । आदरणीय  जनों  से  लठियौत  क्षमा प्रार्थना
       संत चरण अनुरागी
             अनुरागी जी

पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830  

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