Sunday, November 8, 2015

|| सूर्य सम्पूर्ण सौर मण्डल को प्रकाशित कर रहा है ||


     

सूर्य सम्पूर्ण सौर मण्डल को प्रकाशित कर रहा है | ब्रह्माण्ड अनेक हैं और सौर मण्डल भी अनेक हैं | सूर्य, चन्द्रमा तथा लोक भी अनेक हैं, लेकिन प्रत्येक ब्रह्माण्ड में केवल एक सूर्य है | भगवद्गीता में (१०.२१) कहा गया है कि चन्द्रमा भी एक नक्षत्र है (नक्षत्राणामहं शशी) | सूर्य का प्रकाश परमेश्र्वर के आध्यात्मिक आकाश में आध्यात्मिक तेज के कारण है | सूर्योदय के साथ ही मनुष्य के कार्यकलाप प्रारम्भ हो जाते हैं | वे भोजन पकाने के लिए अग्नि जलाते हैं और फैक्टरियाँ चलाने के लिए भी अग्नि जलाते हैं | अग्नि की सहायता से अनेक कार्य किये जाते हैं | अतएव सूर्योदय, अग्नि तथा चन्द्रमा की चाँदनी जीवों को अत्यन्त सुहावने लगते हैं | उनकी सहायता के बिना कोई जीव नहीं रह सकता | अतएव यदि मनुष्य यह जान ले कि सूर्य, चन्द्रमा तथा अग्नि का प्रकाश या तेज भगवान् कृष्ण से उद्भूत हो रहा है, तो उसमें कृष्णभावनामृत का सूत्रपात हो जाता है | चन्द्रमा के प्रकाश से सारी वनस्पतियाँ पोषित होती हैं | चन्द्रमा का प्रकाश इतना आनन्दप्रद है कि लोग सरलता से समझ सकते हैं कि वे भगवान् कृष्ण की कृपा से ही जी रहे हैं | उनकी कृपा के बिना न तो सूर्य होगा, न चन्द्रमा, न अग्नि और सूर्य, चन्द्रमा तथा अग्नि के बिना हमारा जीवित रहना असम्भव है |



पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830 

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