Wednesday, November 11, 2015

|| अति सर्वत्र वर्जते ||


     

अति सर्वत्र वर्जते
एक पूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए अगर कोई चाबी है तो वो है मौन! चाहे वो जीवन का पूर्ण रूप से अनुभव की बात हो यां परम मुक्ति यां खुशी! अपनी दृष्टी, भावनाओं, इच्छाओं और विचारों को एक सही दृष्टिकोण से देखने के लिए मौन एक उत्तम साधन है| स्वयं को जानने और अनुभव करने के लिए मौन एक खूबसूरत माध्यम है|
आज के तेज़ गति से भागते युग में शायद ही कहीं पूर्ण मौन हो| लोग मौन से भागते से नज़र आते हैं और मौन से डरते भी प्रतीत होते हैं|
अति का भला न बोलना अति की भली न चुप ।
अति का भला न वर्षना अति की भली न धूप।।

पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830  

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