Tuesday, November 3, 2015

ये पापलुब्धचौराश्चेद्देवब्राम्हणनिनदकाः।
परदाररतास्तेषामकालमरणं नृणाम्।।
दीपैस्तैलादियुक्तोपि यथावातेन नस्यति।
अजितैन्द्री तथापथ्यैरेवमायुर्विनस्यति।।
जो पापी लोभी चोर और देव ब्राम्हण निन्दक है जो परस्त्री मे आसक्त रहते हैं उनकी अकाल मृत्यु होती है तेल से युक्त होने पर भी दीपक जिस प्रकार वायु के झोके से बुझ जाता है उसी तरह अजितेन्द्रिय पुरुष की आयु नष्ट हो जाती है।

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