Wednesday, November 11, 2015

|| राधे राधे-आज का भगवद चिन्तन ||

     

राधे राधे-आज का भगवद चिन्तन- 09-11-2015
      धनत्रयोदशी समुद्र मंथन के समय हाथों में अमृत कलश लिए भगवान विष्णु के धन्वन्तरि रूप में प्रगट होने का पावन दिवस है। भगवान् धन्वन्तरि आयुर्वेद के जनक और वैद्य के रूप में भी जाने जाते हैं।
       आज के दिन नई वस्तुएं खरीदने का भी प्रचलन है। घर में नया सामान आए ये अच्छी बात है मगर हमारे जीवन में कुछ नए विचार, नए उत्साह, नए संकल्प आएं यह भी जरुरी है। घर की समृद्धि के लिए आपके हार और कार ही नहीं आपके विचार भी सुंदर होने चाहिए।
      हम वैष्णवों का सबसे बड़ा धन तो श्री कृष्ण ही हैं। वो धन है तो हम वास्तविक धनवान हैं। कृष्ण रुपी धन के विना दरिद्रता कभी ख़तम नहीं होती। धन- ते- रस ..... हो सकता है कुछ लोगों को ऐसा लगता हो। पर हम तो ऐसा सोचते हैं ....
      ......धन (कृष्ण) - ते - रस।
         धन त्रयोदशी की सभी को बधाई।

पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830

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