Tuesday, November 3, 2015

रुण्डः/रुण्डम् = [रुङ् + ड, रुण्ड् +अच् वा] = शीश विहीन शरीर, कबन्ध।
प्रयोग-
वेेल्लद्भैरवरुण्डमुण्डनिकरैरवीरो विधत्ते भुवम्। ~ (उत्तर रामचरितम् ५/६, मातंगलीला- ३/१७)।काव्य सौंदर्य हेतु ऐसे अनुप्रासात्मक प्रयोग होते है, यद्यपि यह सार्थक है। परंतु यह युद्ध वर्णन में ही आता है। विग्रह वर्णन में ---गले मुण्डमाला ही होगा। यहाँ रुण्डमाला का प्रयोग नहीं हो सकता। कबंधों की माला व्यावहारिक भी नहीं है। अस्तु,

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