Thursday, September 29, 2016

वृहस्पतिवार २९/९/२०१६ की वार्ता

[29/09 12:51 am] P Omish Ji: आप सबके आशीर्वाद और माता रानी की सत्प्रेरणा से मै इसको स्पष्ट करने का साहस कर रहा हूं।
सब कुछ आप सभी गुरूजनों का ही ज्ञान है 🙏�🙏�🙏�

अटपट बात कबीर की झटपट लखे न कोय
जो याको झटपट लखै त खटपट काहे होय।
एक अचंभा मैने देखा बंदर दुहे गाय, दूध-दूध सब पी गयो घी बनारस जाए।
प्रसंग -
           कबीर जी के द्वारा आश्चर्य यह देखा जाता है कि बंदर के द्वारा गाय का दोहन होना।
भावार्थ-
         सर्वप्रथम यह जान ले इसमें चार बातें प्रधान है।
1-बंदर
2-गाय
3-दूध
4-घी
1- सभी जानते हैं कि बंदर चंचल होता है इसलिए मन का प्रतीक है।

2- गाय का मूल अर्थ है गो और गो मतलब इन्द्रियां।

3-दूध का मतलब यहां पर इन्द्रियों का जो सारतत्व है उसके लिए है।

4-घी को यहाँ मानव तन की उपमा दी गई है।

अर्थात चंचल मन के द्वारा इन्द्रियों का दोहन होता है। इन्द्रियों के सार तत्व के रूप में जो दूध निकलता है उसे तो बंदर रूपी मन पी लेता है।
अब जो घी है मतलब मानव तन, वो शक्ति हीन होने से मृतप्राय हो जाता है और मृत शरीर बनारस मतलब श्मशान घाट(मणिकर्णिका घाट) जाता है।🙏�🙏�🙏�

आप सभी गुरूजनों के आशीर्वचन रूपी पुष्प है जो बालक से प्रस्फुटित हुए हैं।🙏�🙏�🙏�

टंकण त्रुटि के लिए क्षमा और अगर गलत हो तो विशेष क्षमा🙏�🙏�🙏
[29/09 1:00 am] P lakciman: जय हो आचार्यजी 🙏�🙏�🙏
[29/09 1:02 am] P lakciman: बहुत सुंदर
[29/09 1:08 am] P Omish Ji: 🙏�🙏
[29/09 1:09 am] P lakciman: 👌�👌�👌
[29/09 1:10 am] P Omish Ji: 🙏�🙏
[29/09 5:58 am] P anil. mumba: बहुत सुंदर अनुज ओमीश जी 🍂🎄🍂
क्या बात है 👌🏻👌🏻👌🏻🙌🏻🙏🏻🙌🏻👌🏼👌🏼👌🏼
[29/09 7:50 am] P ss: .        ।। 🕉 ।।
    🌞 *सुप्रभातम्* 🌞
««« *आज का पंचांग* »»»
कलियुगाब्द.................5118
विक्रम संवत्...............2073
शक संवत्..................1938
मास.......................आश्विन
पक्ष...........................कृष्ण
तिथी.......................चतुर्दशी
रात्रि 03.55 पर्यंत पश्चात अमावस्या
रवि.....................दक्षिणायन
सूर्योदय...........06.17.28 पर
सूर्यास्त...........06.16.45 पर
तिथि स्वामी.................कलि
नित्यदेवी..........ज्वालामालिनी
नक्षत्र.................पूर्वाफाल्गुनी
संध्या 07.14 पर्यंत पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग............................शुभ
दोप 02.16 पर्यंत पश्चात शुक्ल
करण.........................विष्टि
दोप 03.11 पर्यंत पश्चात बव
ऋतु............................वर्षा
दिन.........................गुरुवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
29 सितम्बर सन 2016 ईस्वी ।

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
दोपहर 01.45 से 03.14 तक ।

🚦 *दिशाशूल* :-
दक्षिणदिशा -
यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।

☸ शुभ अंक..................4
🔯 शुभ रंग.................पीला

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 06.20 से 07.49 तक शुभ
प्रात: 10.47 से 12.16 तक चंचल
दोप. 12.16 से 01.45 तक लाभ
दोप. 01.45 से 03.14 तक अमृत
सायं 04.43 से 06.13 तक शुभ
सायं 06.13 से 07.44 तक अमृत
रात्रि 07.44 से 09.15 तक चंचल |

🎶 *आज का मंत्र* :-
।। ॐ ब्रह्मदेवाय नमः ।।

📢 *सुभाषितम्* :-
*अष्टादशोऽध्यायः - मोक्षसंन्यासयोग :-*
यज्ञदानतपःकर्म न
त्याज्यं कार्यमेव तत् ।
यज्ञो दानं तपश्चैव
पावनानि मनीषिणाम् ॥१८- ५॥
अर्थात :-
यज्ञ, दान और तपरूप कर्म त्याग करने के योग्य नहीं है, बल्कि वह तो अवश्य कर्तव्य है, क्योंकि यज्ञ, दान और तप -ये तीनों ही कर्म बुद्धिमान पुरुषों को  पवित्र करने वाले हैं॥5॥

🍃 *आरोग्यं* :-
एलोवेरा के फायदे :-

एलोवेरा का यह जूस हमारे लिये कितना उपयोगी हो सकता है-
✏1. तेज धूप में निकलने से पहले एलोवेरा का यह रस अच्छी तरह से अपनी त्वचा पर लगा लें। यह माइस्चराइजर के रुप में भी काम करता है और सनबर्न से त्वचा को बचाता भी है। यदि तेज गर्मी के कारण आपकी त्वचा झुलस चुकी हो तो दिन में तीन बार त्वचा पर इसका रस लगाने से शीघ्र ही आराम पा सकते हैं।

✏2. जलने या चोट लगने पर इसका जेल (गूदा) लगाने से बहुत आराम मिलता है। जलने के तुरन्त बाद उस जगह को ठण्डे पानी से धोकर यह जेल लगा लेने से फफोले भी नहीं निकलते और तीन-चार बार लगा लेने से जलन भी समाप्त हो जाती है।

✏3. एक अच्छे स्वास्थ्यवर्द्धक पेय के रुप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। एक गिलास नारियल पानी में चार चम्मच यह रस मिलाकर पीना शरीर को उर्जा प्रदान करने के साथ ही गर्मी में घर से बाहर होने पर लू से बचाव भी करता है।

⚜ *आज का राशिफल* :-

🐑 *राशि फलादेश मेष* :-
आज का दिन आपके लिए शुभ रहने की संभावना है। स्थायी संपत्ति में वृद्धि होगी। रोजगार के अवसर मिलेंगे। परिवार में खुशी का माहौल रहेगा।
           
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
दांपत्य जीवन अच्छा रहेगा। धर्म के कार्यों में रुचि आपके मनोबल को ऊँचा करेगी। जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद हो सकते हैं।
            
👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता प्राप्ति के योग हैं। कई दिनों से रुका पैसा मिल सकेगा। सावधानी व सतर्कता से व्यापारिक अनुबंध करें।
     
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
मिलनसारिता व धैर्यवान प्रवृत्ति जीवन में आनंद का संचार करेगी। कर्ज से दूर रहना चाहिए। प्रतिष्ठितजनों से मेल-जोल बढ़ेगा।
  
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
क्रय-विक्रय के कार्यों में लाभ होगा। खर्च में कमी होगी। कानूनी विवादों का निपटारा आपके पक्ष में होने की संभावना है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
         
👸🏻 *राशि फलादेश कन्या* :-
उच्च और बौद्धिक वर्ग में विशेष सम्मान प्राप्त होगा। योजनाएं बनेंगी। व्यापारिक लाभ होगा। जायदाद संबंधी समस्या सुलझने के आसार बनेंगे।
          
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
परेशानियों का मुकाबला करके भी लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे। भाइयों से अनबन हो सकती है। संतान के प्रति झुकाव बढ़ेगा। ज्ञान में वृद्धि होगी।
  
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
नए संबंध लाभदायी सिद्ध होंगे। दिन आनंदपूर्वक व्यतीत होगा। अनुकूल समाचार मिलेंगे। धैर्य एवं शांति से वाद-विवादों से निपट सकेंगे।
           
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
परिवार के कार्यों पर ध्यान देना जरूरी है। दुस्साहस न करें। अपनी वस्तुएं संभालकर रखें। रुका कार्य होने से प्रसन्नता होगी।
             
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
स्वयं की प्रतिष्ठा व सम्मान के अनुरूप कार्य हो सकेंगे। नए विचार, योजना पर चर्चा होगी। धन संचय की बात बनेगी।
                
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
आर्थिक सलाह उपयोगी रहेगी। व्यापार-व्यवसाय संतोषप्रद रहेगा। आपसी संबंधों को महत्व दें। कर्ज की चिंता कम होगी।
     
🐟 *राशि फलादेश मीन* :-
अल्प परिश्रम से ही लाभ की संभावना है। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। खर्चों में कमी करने का प्रयास करें। संतान की चिंता समाप्त होगी।
  
☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।

।। *शुभम भवतु* ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय*  🚩🚩
[29/09 8:59 am] पं रोहित: 🙏🏻अपर्णा नाम की व्याख्या कीजिए......पुनि परिहरे सुखानेउ परना ।उमहिं नाम तब भयहु अपरना ।।इससे अधिक हमे ज्ञात नही....🙏🏻
[29/09 9:08 am] P lakciman: सूखी पत्ती का सेवन करने वाले को अपर्णा कहते हैं
[29/09 9:18 am] पं. मंगलेश्वर त्रिपाठी: ओमीश जी अति सम्यक्👌👌👌
[29/09 9:26 am] प बलभद्र: अपर्णा--पत्ता रहित
शिवा का एक नाम जोतपस्या करते समय पत्ते का भी सेवन नहीं करती थीं।
[29/09 9:28 am] P lakciman: अ=नहीँ
पर्णा= पत्ता  
अर्थात पत्ता रहित (अन्य पद प्रधानो बहुब्रीही)
[29/09 9:30 am] P lakciman: अपर्णा=सूखा पत्ता
[29/09 10:01 am] महाकाल जी: अति सुंदर व्याख्या
[29/09 10:01 am] महाकाल जी: 27 नक्षत्रों के मंत्र 
+++++++++++
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जन्मकुण्डली  में 12 राशी होती हैं 
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यह 12 राशी 27  नक्षत्र में विभाजित हैं 
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जैसे हर राशी का एक मन्त्र होता है 
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वैसे हर नक्षत्र का भी एक मन्त्र होता है 
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जन्मकुण्डली को एक देश मान लीजिये 
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राशि को आप राज्य मान लीजिये 
.
नक्षत्र को आप शहर मान लीजिये

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27 नक्षत्रों के मंत्र निम्नलिखित हैं :
अश्विनी नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वती वीर्य्यम वाचेन्द्रो
बलेनेन्द्राय दधुरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम: ।
…………
भरणी नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ यमायत्वा मखायत्वा सूर्य्यस्यत्वा तपसे देवस्यत्वा सवितामध्वा
नक्तु पृथ्विया स गवं स्पृशस्पाहिअर्चिरसि शोचिरसि तपोसी।
…………..
कृतिका नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ अयमग्नि सहत्रिणो वाजस्य शांति गवं
वनस्पति: मूर्द्धा कबोरीणाम । ॐ अग्नये नम: ।
……………….
रोहिणी नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ ब्रहमजज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमत: सूरुचोवेन आव: सबुधन्या उपमा
अस्यविष्टा: स्तश्चयोनिम मतश्चविवाह ( सतश्चयोनिमस्तश्चविध: )
ॐ ब्रहमणे नम: ।
………………
मृगशिरा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ सोमधेनु गवं सोमाअवन्तुमाशु गवं सोमोवीर: कर्मणयन्ददाति
यदत्यविदध्य गवं सभेयम्पितृ श्रवणयोम । ॐ चन्द्रमसे नम: ।
……………….
आर्द्रा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ नमस्ते रूद्र मन्यवSउतोत इषवे नम: बाहुभ्यां मुतते नम: ।
ॐ रुद्राय नम: ।
…………….
पुनर्वसु नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ अदितिद्योरदितिरन्तरिक्षमदिति र्माता: स पिता स पुत्र:
विश्वेदेवा अदिति: पंचजना अदितिजातम अदितिर्रजनित्वम ।
ॐ आदित्याय नम: ।
…………………
पुष्य नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ बृहस्पते अतियदर्यौ अर्हाद दुमद्विभाति क्रतमज्जनेषु ।
यददीदयच्छवस ॠतप्रजात तदस्मासु द्रविण धेहि चित्रम ।
ॐ बृहस्पतये नम: ।
…………………….
अश्लेषा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ नमोSस्तु सर्पेभ्योये के च पृथ्विमनु:।
ये अन्तरिक्षे यो देवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम: ।
ॐ सर्पेभ्यो नम:।
……………………….
मघा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ पितृभ्य: स्वधायिभ्य स्वाधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: ।
प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्य स्वधानम: अक्षन्न पितरोSमीमदन्त:
पितरोतितृपन्त पितर:शुन्धव्म । ॐ पितरेभ्ये नम: ।
…………………………
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ भगप्रणेतर्भगसत्यराधो भगे मां धियमुदवाददन्न: ।
भगप्रजाननाय गोभिरश्वैर्भगप्रणेतृभिर्नुवन्त: स्याम: ।
ॐ भगाय नम: ।
……………………………
उत्तराफालगुनी नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ दैव्या वद्धर्व्यू च आगत गवं रथेन सूर्य्यतव्चा ।
मध्वायज्ञ गवं समञ्जायतं प्रत्नया यं वेनश्चित्रं देवानाम ।
ॐ अर्यमणे नम: ।
……………………………
हस्त नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ विभ्राडवृहन्पिवतु सोम्यं मध्वार्य्युदधज्ञ पत्त व विहुतम
वातजूतोयो अभि रक्षतित्मना प्रजा पुपोष: पुरुधाविराजति ।
ॐ सावित्रे नम: ।
…………………………..
चित्रा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ त्वष्टातुरीयो अद्धुत इन्द्रागी पुष्टिवर्द्धनम ।
द्विपदापदाया: च्छ्न्द इन्द्रियमुक्षा गौत्र वयोदधु: ।
त्वष्द्रेनम: । ॐ विश्वकर्मणे नम: ।
……………………………..
स्वाती नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ वायरन्नरदि बुध: सुमेध श्वेत सिशिक्तिनो
युतामभि श्री तं वायवे सुमनसा वितस्थुर्विश्वेनर:
स्वपत्थ्या निचक्रु: । ॐ वायव नम: ।
…………………………………..
विशाखा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ इन्द्रान्गी आगत गवं सुतं गार्भिर्नमो वरेण्यम ।
अस्य पात घियोषिता । ॐ इन्द्रान्गीभ्यां नम: ।
…………………………………..
अनुराधा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ नमो मित्रस्यवरुणस्य चक्षसे महो देवाय तदृत
गवं सपर्यत दूरंदृशे देव जाताय केतवे दिवस्पुत्राय सूर्योयश
गवं सत । ॐ मित्राय नम: ।
…………………………………
ज्येष्ठा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ त्राताभिंद्रमबितारमिंद्र गवं हवेसुहव गवं शूरमिंद्रम वहयामि शक्रं
पुरुहूतभिंद्र गवं स्वास्ति नो मधवा धात्विन्द्र: । ॐ इन्द्राय नम: ।
……………………………………
मूल नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ मातेवपुत्रम पृथिवी पुरीष्यमग्नि गवं स्वयोनावभारुषा तां
विश्वेदैवॠतुभि: संविदान: प्रजापति विश्वकर्मा विमुञ्च्त ।
ॐ निॠतये नम: ।
…………………………………….
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ अपाघ मम कील्वषम पकृल्यामपोरप: अपामार्गत्वमस्मद
यदु: स्वपन्य-सुव: । ॐ अदुभ्यो नम: ।
……………………………………..
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ विश्वे अद्य मरुत विश्वSउतो विश्वे भवत्यग्नय: समिद्धा:
विश्वेनोदेवा अवसागमन्तु विश्वेमस्तु द्रविणं बाजो अस्मै ।
…………………………………….
श्रवण नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ विष्णोरराटमसि विष्णो श्नपत्रेस्थो विष्णो स्युरसिविष्णो
धुर्वोसि वैष्णवमसि विष्नवेत्वा । ॐ विष्णवे नम: ।
………………………………..
धनिष्ठा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ वसो:पवित्रमसि शतधारंवसो: पवित्रमसि सहत्रधारम ।
देवस्त्वासविता पुनातुवसो: पवित्रेणशतधारेण सुप्वाकामधुक्ष: ।
ॐ वसुभ्यो नम: ।
…………………………………
शतभिषा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ वरुणस्योत्त्मभनमसिवरुणस्यस्कुं मसर्जनी स्थो वरुणस्य
ॠतसदन्य सि वरुण स्यॠतमदन ससि वरुणस्यॠतसदनमसि ।
ॐ वरुणाय नम: ।
……………………………….
पूर्वभाद्रपद नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ उतनाहिर्वुधन्य: श्रृणोत्वज एकपापृथिवी समुद्र: विश्वेदेवा
ॠता वृधो हुवाना स्तुतामंत्रा कविशस्ता अवन्तु ।
ॐ अजैकपदे नम:।
…………………………………
उत्तरभाद्रपद नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ शिवोनामासिस्वधितिस्तो पिता नमस्तेSस्तुमामाहि गवं सो
निर्वत्तयाम्यायुषेSत्राद्याय प्रजननायर रायपोषाय ( सुप्रजास्वाय ) ।
ॐ अहिर्बुधाय नम: ।
………………………………
रेवती नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ पूषन तव व्रते वय नरिषेभ्य कदाचन ।
स्तोतारस्तेइहस्मसि । ॐ पूषणे नम: । 27
[29/09 10:17 am] महाकाल जी: पितृ परम पर्वता विराजे,
हम कर जोड़े खड़े सकारे !
होम धूप की होय अग्यारी,
पितरदेव दरबार तुम्हारी !
पितर मनावे हार द्वार में बरकत बरषे,
बार-बार मैं अपने गौत्र के पितर मनाऊँ !
सातो सातहि सिर ही झुकाऊँ,
जो न माने मेरी बात,
नरसिंह को झुकाऊँ माथ !
वीर नरसिंह दहाड़ता आवे,
मूछें-पूंछ कोप हिलावे !
हन – हन हुम करे हुंकार,
प्रेत-पितर पीड़ा फटकार !
कोड़ा मारे श्री हनुमान,
सिद्ध होंय सब पूरन काज !
दुहाई दुहाई राजा रामचंदर महाराज की !

|| विधि ||

पितृ पक्ष में एक तेल का दीया आग्नेय कोण ( दक्षिण-पूर्व दिशा ) में लगा दे और एक दीया अपने सामने लगा दे ! एक पुड़ी पर खीर और हलवा थोड़ी मात्रा में रख दे और एक पानी वाला नारियल छील कर अपने पास रख ले और इस मंत्र का एक माला जप करे ! जप के बाद नारियल फोड़ दे और सारी सामग्री सारी रात्री वही पड़ी रहने दे , दुसरे दिन पुड़ी छत पर डाल दे और नारियल बहते पानी में बहा दे ! यह प्रयोग आपको १५ दिन , मतलब पूरे पितृ पक्ष करना है ! ऐसा करने से आपके पितृ कितने भी बड़े तांत्रिक ही क्यों न हो आपको शुभ फल अवश्य देंगे और भविष्य में भी आपकी सहायता करेंगे !

मेरी अनुभूत साधना है ! एक बार जरुर करे और जीवन में परिवर्तन देखे
[29/09 4:56 pm] P Omish Ji: यज्ञो मे प्रजापतये नम: का उच्चारण क्यो नही करते तथा षोढ़शमात्रिका व सप्त घ्रृत मात्रा को आहुति क्यो वर्जित है
[29/09 4:59 pm] दीना महराज: जय श्री राम
[29/09 4:59 pm] पं रोहित: Jai shre ram
[29/09 5:29 pm] P ss: बधाई मित्रों
बाज नहीं आ रहे पाकिस्तान से निपटने के लिए हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने 56" के सीने का परिचय देते हुए भारतीय सशस्त्र सेना को खुली छूट दी ।
परिणामतः
पहली बार LOC पार
आतंकवादियों पर वार
भारत की सर्जिकल स्ट्राइक से बङी तादाद में आतंकवादियों को मार गिराया गया जिससे नापाक बौखलाया ।
बौखलाने दो ।
अब समझे होंगे मोदी जी विदेशों के दौरे क्यों करते थे और पाकिस्तान का सार्क दौरा क्यों रद्द किया ।
उरी हमले का बदला लिया ।
भारत माता की जय ।
वन्दे मातरम
[29/09 5:30 pm] P ss: भारतीय सेना को बहुत बहुत बधाई और साथ में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को भी कचरा साफ करने की सोच पर बधाई
[29/09 5:30 pm] P ss: नाज हमें है उन वीरों पर, जो मान बड़ा कर आये हैं।
दुश्मन को घुसकर के मारा, शान बड़ा कर आये हैं।I
मोदी जी अब मान गये हम, छप्पन इंची सीना है।
कुचल, मसल दो उन सब को अब, चैन जिन्होंने छीना है।I
और आस अब बड़ी वतन की, अरमान बड़ा कर आये हैं।
नाज हमें है उन वीरों पर, जो शान बड़ा कर आये हैं।I
एक मरा तो सौ मारेंगे, अब रीत यही बन जाने दो।
लहू का बदला सिर्फ लहू है, अब गीत यही बन जाने दो।I
गिन ले लाशें दुश्मन जाकर, शमसान बड़ा कर आये हैं।
नाज हमें है उन वीरों पर, जो मान बड़ा कर आये हैं।I
अब बारी उन गद्दारों की, जो घर के होकर डसते हैं।
भारत की मिट्टी का खाते, मगर उसी पर हँसते हैं।I
उनको भी चुन चुन मारेंगे, ऐलान बड़ा कर आये हैं।
नाज हमें है उन वीरों पर, जो मान बड़ा कर आये हैं

                                                                    भारतीय सेना के वीर जवानों को नमन !!
[29/09 5:31 pm] P ss: आज दिनांक 29-09-2016
29+9+2+0+16
= *56*
देख लो आज 56 इंच का सीना....
[29/09 5:41 pm] पं. मंगलेश्वर त्रिपाठी: असंख्याः परदोषज्ञा गुणज्ञा अपि केचन |
स्वयमेव स्वदोषज्ञा विद्यन्ते यदि पञ्चषाः ||
समाज में अन्य व्यक्तियों के दोषों को जानने में कुशल व्यक्ति तो असंख्य (जिनकी गिनती करना भी संभव न हो) उपलब्ध होते हैं, पर गुणों के पारखी बहुत ही कम उपलब्ध होते हैं। अपने दोषों को स्वयं जानने वाले व्यक्ति हों भी तो शायद पांच या छः ही मिलेंगे।"अतः हमें प्रेम पुर्वक स्वयं के दोषों को जानने का प्रयास करना चाहिये |
[29/09 5:41 pm] पं संजय उड़ि: सभी श्रेष्ठ गुरुदेवो को चरणों में प्रणाम🙏🙏
[29/09 5:41 pm] पं संजय उड़ि: जय हिन्द
[29/09 5:52 pm] पं. मंगलेश्वर त्रिपाठी: किसी को तकलीफ देना मेरी आदत नही,
बिन बुलाया मेहमान बनना मेरी आदत नही...!
मैं अपने गम में रहता हूँ नबाबों की तरह,
परायी खुशियो के पास जाना मेरी आदत नही...!
सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मै,
किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नही...!
बांटना चाहता हूँ तो बस प्यार और मोहब्बत,
यूँ नफरत फैलाना मेरी आदत नही...!
जिंदगी मिट जाये किसी की खातिर गम नही,
कोई बद्दुआ दे मरने की यूँ जीना मेरी आदत नही...!
सबसे दोस्त की हैसियत से बोल लेता हूँ,
किसी का दिल दुखा दूँ मेरी आदत नही...!
दोस्ती होती है दिलों से चाहने पर,
जबरदस्ती दोस्ती करना मेरी आदत नही..!
नाम छोटा है मगर दिल
बडा रखता हु | |
पैसो से उतना अमीर नही हु | |
मगर अपने यारो के गम खरिद ने
की हैसयत रखता हु | |

Wednesday, September 28, 2016

भारतीय हिन्‍दुधर्म की मान्‍यतानुसार पितृ दोष

भारतीय हिन्‍दुधर्म की मान्‍यतानुसार पितृ दोष एक ऐसी स्थिति का नाम है, जिसके अन्‍तर्गत किसी एक के किए गए पापों का नुकसान किसी दूसरे को भोगना पडता है।

उदाहरण के लिए पिता के पापों का परिणाम यदि पुत्र को भोगना पडे, तो इसे पितृ दोष ही कहा जाएगा क्‍योंकि हिन्‍दु धर्म की मान्‍यता यही है कि पिता के किए गए अच्‍छे या बुरे कामों का प्रभाव पुत्र पर भी पडता है। इसलिए यदि पिता ने अपने जीवन में अच्‍छे कर्म की तुलना में बुरे कर्म अधिक किए हों, तो मृत्‍यु के बाद उनकी सद्गति नहीं होती और ऐसे में वे प्रेत योनि में प्रवेश कर अपने ही कुल को कष्ट देना शुरू कर देते हैं। इसी स्थिति को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है।

इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि किसी भी व्‍यक्ति के पूर्वज पितृलोक में निवास करते हैं और पितृ पक्ष के दौरान ये पूर्वज पृथ्‍वी पर आते हैं तथा अपने वंशजों से भोजन की आशा रखते हैं। इसलिए जो लोग पितृपक्ष में अपने पूर्वजों या पितरों जैसे कि पिता, ताया, चाचा, ससुर, माता, ताई, चाची और सास आदि का श्राद्ध, तर्पण, पिण्‍डदान आदि नहीं करते, उनके पितर अपने वंशजों से नाराज हाेकर श्राप देते हुए पितृलोक को लौटते हैं, जिससे इन लोगों को तरह-तरह की परेशानियों जैसे कि आकस्मिक दुर्घटनाओं, मानसिक बीमारियों, प्रेत-बाधा आदि से सम्‍बंधित अज्ञात दु:खों को भोगना पडता है और जिन्‍हें पितृ दोष जनित माना जाता है।

साथ ही ऐसी भी मान्‍यता है कि जो लोग अपने पूर्वजन्‍म में अथवा वर्तमान जन्‍म में अपने से बडों का आदर नहीं करते बल्कि उनका अपमान करते हैं, उन्‍हें पीडा पहुंचाते हैं, अपने, पूर्वजों का शास्त्रानुसार श्राद्ध व तर्पण नहीं करते, पशु-पक्षियों की व्यर्थ ही हत्या करते हैं और विशेष रूप से रेंगने वाले जीवों जैसे कि सर्प आदि का वध करते हैं, ऐसे लोगों को पितृ दोष का भाजन बनना पडता है।पितृ गण हमारे पूर्वज  हैंजिनका ऋण हमारे ऊपर है ,क्योंकि   उन्होंने कोई ना कोई उपकार हमारे जीवन के लिए  किया है | मनुष्य लोक से ऊपर पितृ लोक है,पितृ लोक के ऊपर सूर्य लोक है एवं इस से भी ऊपर स्वर्ग लोक है|  आत्मा जब अपने शरीर को त्याग कर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में जाती है ,वहाँ हमारे पूर्वज  मिलते हैं |अगर उस आत्मा के अच्छे पुण्य हैं तो ये हमारे पूर्वज भी उसको प्रणाम कर अपने को धन्य मानते हैं की इस अमुक आत्मा ने हमारे कुल में जन्म लेकर हमें धन्य किया |इसके आगे आत्मा अपने पुण्य के आधार  पर सूर्य लोक की तरफ बढती है |वहाँ से आगे  ,यदि और अधिक पुण्य हैं, तो आत्मा सूर्य लोक को बेध कर  स्वर्ग लोक की तरफ चली जाती है,लेकिन करोड़ों में एक आध आत्मा ही ऐसी होती है ,जो परमात्मा में समाहित  होती है |जिसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता | मनुष्य लोक एवं पितृ लोक  में बहुत सारी आत्माएं पुनः अपनी इच्छा वश  ,मोह वश अपने कुल में जन्म लेती हैं|

पितृ दोष के संदर्भ में यदि हम धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार बात करें तो जब हमारे पूर्वजों की मृत्‍यु होती है और वे सदगति प्राप्‍त न करके अपने निकृष्‍ट कर्मो की वजह से अनेक प्रकार की कष्टकारक योनियों में अतृप्ति, अशांति व असंतुष्टि का अनुभव करते हैं, तो वे अपने वंशजों से आशा करते हैं कि वे उनकी सद्गति या मोक्ष का कोई साधन या उपाय करें जिससे उनका अगला जन्म हो सके अथवा उनकी सद्गति या मोक्ष हो सके।

मृत्यु के पश्चात संतान अपने पिता का श्राद्ध नहीं करते हैं एवं उनका जीवित अवस्था में अनादर करते हैं तो पुनर्जन्म में उनकी कुण्डली में पितृदोष लगता है. सर्प हत्या या किसी निरपराध की हत्या से भी यह दोष लगता है.पितृ दोष को अशुभ प्रभाव देने वाला माना जाता है.

Tuesday, September 27, 2016

पिछले कुछ दशकों में आतंकवाद विश्व के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती बन के उभरा है

पिछले कुछ दशकों में आतंकवाद विश्व के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती बन के उभरा है | धीरे-धीरे यह दुनिया के कई देशों को अपनी चपेट में ले चुका है | हर वर्ष हजारों लोग इसके कारण अपने प्राणों से हाथ धो बैठते हैं | अनगिनत लोगों का घर-बार उजड़ जाता है | धन- संपत्ति का नाश होता है और मानव जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है | आतंकवाद के कारण देश और दुनिया में भय का माहौल बना हुआ है | आतंकवाद मानवता और सभ्य समाज के लिए एक बड़ा कलंक है |
आतंकवाद एक घिनौना कृत्य है क्योंकि यह आम नागरिकों को निशाना बनाता है | आतंकवादी अपने विरोधियों से सीधे कभी नहीं लड़ते | वह छुप के वार करते हैं | उनका हमला ज्यादातर निहत्थे और मासूमों पर ही होता है | वो ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को मारकर अपनी बात दुनिया के सामने रखना चाहते हैं | १९७१ में पकिस्तान जब भारत से युद्ध हार गया और उसके दो टुकड़े हो गए तो वो समझ गया कि भारत से सीधे युद्ध में जीतना संभव नहीं है | अपनी गुप्तचर संस्था आइ एस आइ (ISI) का इस्तेमाल कर उसने भारत से एक अप्रत्यक्ष युद्ध की शुरुआत की | भारत में कई ऐसे संगठन थे जो सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं थे | आइ एस आइ ने उन्हें भारत के खिलाफ भड़काया, उन्हें धन और हथियार उपलब्ध कराया और यहीं से भारत में बड़े पैमाने पर आतंकवाद की शुरुआत हुई |
पंजाब में अलग खालिस्तान की माँग उठने लगी तो कश्मीर में भारत से अलग होने की माँग जोर पकड़ने लगी | देश के उत्तरपूर्वी राज्यों में कई भारत विरोधी आंदोलन शुरू हो गए | नक्सली आंदोलन ने अचानक हिंसक रूप ले लिया | इसके बाद भारत में आतंकवादी घटनाओं का जो सिलसिला शुरू हुआ वो अब तक थमा नहीं है | इन सारी आतंकवादी घटनाओं के पीछे जो संगठन थे, वो भारत में पहले से सक्रिय थे किंतु उनके पास धन और हथियार नहीं थे | इसलिए उनका विरोध शांतिपूर्ण हुआ करता था | पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आइ एस आइ के द्वारा धन और हथियार उपलब्ध कराने के बाद इनके विरोध ने हिंसा का रूप ले लिया | यह हमारे सरकार की बहुत बड़ी नाकामी रही कि वह आइ एस आइ को रोकने में सफल नहीं हो सकी |
भारत में आतंकवाद बढ़ने के कई कारण हैं | इस्लामिक आतंकवाद पिछले कुछ दशकों से भारत तथा पूरे संसार में होनेवाली आतंकवादी घटनाओं का मुख्य कारण रहा है | कुछ कट्टर इस्लामी संस्थाओं ने हमारे देश के कई नौजवानों को गुमराह कर आतंकवाद की राह पर धकेल दिया है | उन्हें धर्म के नाम पर भड़काया जाता है | आतंकवाद के कार्य को अल्लाह का काम बताया जाता है | कभी भारत में हुए किसी दंगे का बदला लेने के नाम पर तो कभी भारत को इस्लामिक देश बनाने के नाम पर इन युवकों से बम ब्लास्ट और आम नागरिकों पर सशस्त्र हमला कराया जाता है | १९९३ में हुआ बम ब्लास्ट इसका उदाहरण है | कई बार तो पाकिस्तानी नागरिक भी इन हमलों में शामिल रहे हैं | २६ नवम्बर २०११ में मुंबई पर जो हमला हुआ था, उसमें शामिल सारे नागरिक पाकिस्तानी थे |
धार्मिक उन्माद के बाद भारत में आतंकवादी घटनाओं का एक बड़ा कारण रहा है भारत से अलग होकर अलग देश बनाने की माँग | कश्मीर में काफी समय से यह माँग चल रही है | पंजाब में अलग खालिस्तान बनाने की माँग काफी जोरो-शोरों से उठी थी | देश के उत्तरपूर्वी राज्यों में यह माँग कई बार उठी है | इन माँगों को कभी भी व्यापक जन समर्थन नहीं मिला | इसी से हताश होकर कुछ संगठनों ने आतंकवाद का रास्ता चुन लिया | उन्हें पैसा और हथियार तो आइ एस आइ से मिल गया | इससे बड़े पैमाने पर कश्मीर, पंजाब, और भारत के उत्तरपूर्वी राज्यों में आतंकवाद की घटनाएँ हुई | पंजाब और उत्तरपूर्व में तो अब काफी शांति है पर कश्मीर इस आतंकवाद की आग में अब भी जल रहा है |
इनके अलावा गरीबी, सामजिक भेदभाव, आर्थिक असमानता ने कई बार आतंकवाद को जन्म दिया है | नक्सली आंदोलन इसका उदाहरण है | हमारी सरकार समाज के हर तबके तक देश के विकास का लाभ नहीं पहुँचा पाई | देश में गरीबी और असमानता बहुत ज्यादा है | ऐसे कई लोग असहाय होकर हथियार उठा लेते हैं | अंग्रेजों ने कई ऐसे कानून बनाएँ थे जिसका भारत एक आदिवासी समुदाय ने कड़ा विरोध किया था | उसके खिलाफ कई आंदोलन भी हुए थे | आजादी मिलने के बाद भी भारत सरकार ने उन कानूनों को बदला नहीं | इससे कई आदिवासी संगठन भी नक्सली आतंकवाद का हिस्सा बन गए |
भारत ने आतंकवाद के कारण लाखों नागरिकों के प्राण गवाएँ है | अब भारत को चाहिए कि आतंकवादी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएँ | आतंकवाद विरोधी कानूनों को दोबारा बनाने की जरुरत है | हमारे सशस्त्र बालों का आधुनिकीकरण भी जरुरी है ताकि वो आतंकवादियों का मुकाबला कर उन्हें ख़त्म कर सके | भारत की गुप्तचर संस्थाओं को अधिक सक्रिय होना पड़ेगा | आतंकवादी संस्थाओं को जो पैसा और हथियार मिलता है यदि सरकार उसे रोकने में सफल हो जाए तो भी आतंकवाद की कमर टूट जाएगी | इस कार्य में हमारी गुप्तचर संस्थाओं का अहम योगदान रहेगा | इसके अलावा भारत की सरकार को चाहिए कि वो देश में धार्मिक कट्टरता फैलने न दे | खाड़ी देशों में फैले इस्लामी आतंकवाद का जूनून धीरे-धीरे भारत में भी पैर पसार रहा है | भारत सरकार को सतर्क होकर ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे ऐसे संगठन भारत में अपना प्रचार न कर पाएँ |
हमारी सरकार को देश में जितने भी राजनैतिक और सामजिक संगठन हैं, उनसे बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहिए | उनकी जायज माँगों को मान लेना चाहिए | सरकार की उदासीनता लोगों में असंतोष पैदा करती है और उनमें से कई आतंकवाद की तरफ मुड़ जाते हैं | यह सरकार की जिम्मेदारी है कि देश में एकता बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाए जिससे हमारे शत्रु हमारे देश के लोगों को ही हमारे खिलाफ इस्तेमाल न कर पाए |जय हिन्द जय भारत🇮🇳