Friday, November 27, 2015

|| धर्मार्थ वार्ता समाधान संघ नियमावली ||


     
|| धर्मार्थ वार्ता समाधान संघ नियमावली ||
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ॐसच्चा नामधेयाय श्री गुरवे परमात्मने नमः
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     धर्मार्थ वार्ता समाधान संघ| की नियमावली 
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जिसका पालन करना "धर्मार्थ वार्ता समाधान संघ"के सभी विद्वत आचार्यसदस्यों को अनिवार्य होगा।
धर्मार्थ वा०स० संघ-नियमावली
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1.सर्व प्रथम संघ के सभी आदरणीय श्रेष्ठ विद्वत आचार्य गणों से वार्ता करते समय उनके नाम के आगे सम्मान सूचक शब्द अवश्य लगायें।
2.श्रेष्ठ आचार्य गणों द्वारा छोटो को भी उचित सम्मान से ही संबोधित किया जाये।
3.आपसी शिष्टाचार एवम्
सौम्यता बनाते हुये सब से प्रेम पूर्वक सदाचार का परिचय दे।
4.किसी भी सदस्य के प्रति हीन भावना न रखते हुये सब को अपने परिवार का अभिन्न अंग माने।
5.किसी भी विद्वत सदस्य के ऊपर कोई भी ऐसी टिप्पणी न करें जिससे किसी का मन आहत हो या किसी को दुःख पहुँचे।
6.संघ के नाम एवम् प्रोफाइल फोटो से किसी प्रकार की छेड़खानी न करें यह कार्य संस्थापक महोदय के अंतर्गत आता है।
7.किसी भी प्रकार के अनावश्यक मैसेज न भेजें,जैसे चुटकुले, शाइरी,कॉमेडी या 'ये मैसेज 20 लोगो को शेयर करो शाम तक अच्छी खबर मिलेगी नहीँ तो आपका अनिष्ट होगा'_ इस प्रकार के मैसेज भेजना दण्डनीय अपराध माना जायेगा।
8.संघ में मात्र केवल सनातन धर्म,आध्यात्म,पुराण,
वेदोपनिषद् ,समस्त सनातन धर्म से सम्बंधित संग्रह ही भेजें।
9.किसी भी सदस्य के प्रति हास परिहास,आपत्तिजनक टिप्पणी न करें,जिससे किसी भी प्रकार का विवाद हो।
10.किसी भी सदस्य को अपनी विद्वता से निचा दिखाने का प्रयास न करें,बल्कि अपने ज्ञान को प्रेम पूर्वक प्रस्तुत करें।
11.किसी भी प्रश्न के ऊपर चल रही वार्ता समाधान  के वक्त दूसरे पोस्ट न भेजें
12.कोई भी चित्र या वीडियो फोटो भेजना विशेष मुख्य रूप से वर्जित है इसका विशेष ध्यान रखें 
13.संघ में किसी भी नए अतिथि विद्वान के आने पर उनका समुचित स्वागत अभिवादन करना हम सब के अच्छे शिष्टाचार का परिचायक है
14.किसी भी सदस्य से किसी प्रकार की त्रुटि होने पर उनके प्रति अन्य कोई सदस्य न उलझें। उसका समाधान, प्रशासनिक श्रेष्ठ गुरुजनों द्वारा या संघ संस्थापक द्वारा किया जायेगा। यदि किसी को किसी से शिकायत है तो वे हमारे पर्सनल एकाउंट में वार्ता करें।
15.अगर अपने निजी कारणों बस कोई भी सदस्य संघ से बाहर होना चाहते हैँ तो कृपया सुचना अवश्य दे।
16.संघ के नियमो में कुछ और सुदृढ़ बनाने के लिए आप सब अपनी राय दे सकते हैँ संस्थापक महोदय के पर्शनल में।
17."आप सभी विद्वत जन अपने प्रोफाइल में अपना नाम अवश्य लिखे |
18.नियमों में कुछ त्रुटि हो तो अपना सुझाव देने की कृपा करें।
19.संघ में किसी भी पोस्ट को दुबारा पोस्ट करना वर्जित है किसी सदस्य के आग्रह करने पर ही दुबारा पोस्ट भेज सकते हैँ |
20.संघ को और मजबूत बनाने हेतु विशिष्ठ विद्वत जनोँ की आवश्यकता होती है,अतः जिन विद्वत जनोँ के सम्पर्क में अच्छे शुमधुर व्यवहार वाले ज्ञानमय ब्राम्हण हों,उन विद्वानों को जोड़ने के लिए संस्थापक महोदय या सदस्यस्थापक गुरू जनों से सम्पर्क कराएं तथा उन्हें संघ के नियमो से भी अवगत कराये |
21.संघ में वार्ता करने का समय सुबह 5:30से रात्रि 11:00तक विशेष आवश्यकता पड़ने पर 12:00तक
22.धर्मार्थ वार्ता समाधान की प्रशासनिक अधिकारी-सूची :—
1--स्वतंत्र प्रभार--:श्रीमान् संतोष मिश्र जी
2--न्यायाधीश--:श्रीमान् राजनाथ द्विवेदी (बाबा जी)
3--उप न्यायाधीश--:श्रीमान् जगदीश द्विवेदी (77महाकाल बाबा जी)
4--मार्गदर्शक--:श्रीमान् उपेन्द्र त्रिपाठी जी
5--सदस्य सम्पर्कस्थापक--:श्रीमान् सत्यप्रकाश शुक्ल जी
6--अध्यक्ष--:श्रीमान् सत्यप्रकाश तिवारी जी (कोपरखैरणे)
7--सदस्य संपर्कस्थापक--:श्रीमान् अनिल पाण्येय जी (मुम्बादेवी)
8--:प्रसंसक ÷श्रीमान् रविन्द्र मिश्र  (व्यास जी)
9--(संस्थापक)पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
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संघ प्रेरक÷1श्रीमान् आलोक त्रिपाठी जी
2÷श्रीमान् सत्यप्रकाश अनुरागी जी (महराज)
3÷श्रीमान् कुणाल जी(महराज)
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जयतु गुरुदेव, जयतु भारतम्


पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830  

|| विहान हुआ ||


      


विहान हुआ
जागो! विहान हुआ!
तम से नाता तोड़ो,
प्राची को मुख मोड़ो।
आगे प्रयाण करो,
पीछे को मत दौड़ो।
लेकर आदर्श यही,
मारुत गतिमान हुआ।।
जागो! विहान हुआ!
असत को न सत जानो,
तम-शासन मत मानो।
कहता है नया दिवस,
अपने को पहचानो।
क्षणभंगुर रजनी का,
देखो, अवसान हुआ।।
जागो! विहान हुआ!
सागर का जल जागा,
खग-कोलाहल जागा।
उषा जगी, दिशा जगी,
नभ जागा, तल जागा।
उठो-उठो! कर्मवीर!
युग का आह्वान हुआ।।
जागो! विहान हुआ!
जग में जो सोते हैं,
खोते ही खोते हैं।
जीवन में बिना ब्याज,
कण्टक ही बोते हैं।
क्रियाशील को सदैव,
हर पल वरदान हुआ।।
जागो! विहान हुआ!
निद्रा-प्रमाद तजो,
कल का विषाद तजो।
सपनों की संसृति से,
झूठा विवाद तजो।
देता आदेश यही,
उदित अंशुमान हुआ।।
जागो! विहान हुआ!

पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830  

|| अमल भक्ति दो माता ||


     

अमल भक्ति दो माता!
अपनी अमल भक्ति दो माता!
सिंधु-सुते! जननी, जगत्राता।।

मन को दग्ध न करे वासना,
अंतर-दंश न करे कामना,
रूप-रंग-रति-काम न मोहे,
विषयों से विरक्ति दो माता।।

रोग न तन में भरे विवशता,
भोग न दुर्बल कर दें क्षमता,
स्वस्थ रहे तन, स्वस्थ रहे मन,
अक्षय प्राण-शक्ति दो माता।।

सता न पाए क्षुधा-पिपासा,
टूटे कभी न स्नेह, न आशा,
सुख-समृद्धि-सम्मान मिले पर,
सच्ची अनासक्ति दो माता।।

असत अविद्या की अंधियारी,
कर न सके जीवन को भारी,
दूर रह सकूँ पाप-पंक से,
ऐसी सदा युक्ति दो माता।।

बहुत हो चुका अभिनय जननी!
काटो अब भव - भय की रजनी,
निर्मल ज्योति दिखा सद पथ पर,
पीड़ा से विमुक्ति दो माता।।

जन्म-मृत्यु के बंधन छूटें,
हरें न मन आकर्षण झूठे,
जगें भाव "आदेश" अनूठे,
अब तो पूर्ण मुक्ति दो माता।।

पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830  

|| सरस्वती वन्दना ||


     
सरस्वती वन्दना
मुझको नवल उत्थान दो।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।
मां शारदे! हंसासिनी!
वागीश! वीणावादिनी!
मुझको अगम स्वर-ज्ञान दो।।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।
निष्काम हो मन कामना,
मेरी सफल हो साधना,
नव गति, नई लय तान दो।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।
हो सत्य जीवन-सारथी,
तेरी करूँ नित आरती,
समृद्धि, सुख, सम्मान दो।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।
मन, बुद्धि, हृदय पवित्र हो,
मेरा महान चरित्र हो,
विद्या, विनय, बल दान दो।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।
सौ वर्ष तक जीते रहें,
सुख-अमिय हम पीते रहें,
निज चरण में सुस्थान दो।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।
यह विश्व ही परिवार हो,
सबके लिए सम प्यार हो,
'आदेश' लक्ष्य महान दो।
माँ सरस्वती! वरदान दो।।

पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830