Tuesday, November 3, 2015

कार्तिक मॉस का महात्म्य
💥💥💥💥💥💥💥
हिन्दू सनातन
धर्म में पुराणों एवम्
शास्त्रो तथा पंचांगों
के अनुसार पूरे वर्ष में बारह चन्द्र मास हैं। हर मास की अपनी-अपनी विशेषता है। प्रत्येक मास में अलग अलग देवों की आराधना भी निर्धारित है। इन बारह मासों में कार्तिक मास आठवें स्थान पर आता है। शास्त्रों में कार्तिक मास को बड़ा ही पवित्र मास माना जाता है। इस मास की विशेषता का वर्णन स्कन्द पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण में भी दिया गया है। स्कन्द पुराण में लिखा है कि सभी मासों में कार्तिक मास, देवताओं में विष्णु भगवान, तीर्थों में बद्रीनारायण तीर्थ शुभ है। पदम पुराण के अनुसार कार्तिक मास धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष देने वाला है।
कार्तिक पूर्णिमा शरद ऋतु की अन्तिम तिथि है। कार्तिक पूर्णिमा ब़डी पवित्र तिथि मानी जाती है। इस तिथि को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि का दिन माना गया है। इस दिन किए हुए स्त्रान, दान, हवन, यज्ञ व उपासना आदि का अनन्त फल प्राप्त होता है।  इस अवसर पर कई स्थानों पर मेले लगते हैं। इस तिथि पर किसी को भी बिना स्नान और दान के नहीं रहना चाहिए। स्नान पवित्र स्थान एवं पवित्र नदियों में एवं दान अपनी शक्ति के अनुसार करना चाहिए।
कार्तिक मास में तुलसी आराधना का विशेष महत्व है | पौराणिक कथा के अनुसार गुणवती नामक स्त्री ने कार्तिक मास में मंदिर के द्वार पर तुलसी की एक सुन्दर सी वाटिका लगाई उस पुण्य के कारण वह अगले जन्म में सत्यभामा बनी और सदैव कार्तिक मास का व्रत करने के कारण वह भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी बनी। इस मास में तुलसी विवाह की भी परंपरा है जो कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। इसमें तुलसी के पौधे को सजाया संवारा जाता है एवं भगवान शालीग्राम का पूजन किया जाता है। तुलसी का विधिवत विवाह किया जाता है।अस्तु इस मॉस में प्रति दिन तुलसी को प्रातः अर्घ्य,जल,अष्टगंध आदि से पूजन करने तथा संध्याकालीन वेला में दीपदान करने से मनवांक्षित फल की प्राप्ति होती है |
💥💥💥💥💥💥💥
अस्तु शुभम् शुभ संध्या💥🌷💥

No comments:

Post a Comment