Wednesday, November 11, 2015

|| एक वार चन्द्रगुप्त ||

      

एक वार चन्द्रगुप्त ने अपने गुरु से पूछा कि गुरु जी
गन्ध सुवर्णे फल मिक्षुदन्डे नकारपुष्पम् खल चन्दनस्य।
विद्वान धनाडस्य नृपस्यचिरयु धातुः पूरा कोअपि बुद्धिअद्भूत्।।
अर्थः=व्रह्मा ने सोने को सुंदर वनाया परन्तु सुंगंध से वंचित कर दिया ईख पर फल नही लगाया चन्दन पर फूल नही लगाये विद्वान को धनी नही वनाया राजा को दीर्घजीवी नही वनाया इससे यह निश्चित होता है की पूर्व काल में परमेस्वर को कोई वुद्धि देने वाला नही होगा (चाणक्य नी0 9/3)
सभी विद्वान इस पर मन्थन करें ऐसा क्यों किया ईश्वर दे

पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830 

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