वज्रांग हनुमंत पर विशेष
लंका दहन के उपरांत श्री हनुमंत लाल निज दल में आते हैं ।
जाम्बवान दादा ::
लंका जलाने का आदेश नहीं था आपने क्यूँ जलाया ?
श्री हनुमंत ::
दादा ~ शास्त्र मत यह की
जिन्ह हरि भगति हृदय नहिँ आनी ।
जीवत सव समान तेइ प्राणी ।।
हमें हरि भक्त दिखे नहीं शव को जलाना तो पुन्य कार्य होता है दादा जी
जाम्बवंत ::
चलो प्रभू जब पूंछेंगे तो उन्हें अपना तर्क दीजियेगा ।
और सरकार भी प्रश्न कर ही देते हैं
मेरे हनुमंत प्रभू से कह रहे हैं सरकार लंका मैंने नहीं जलाई
तो किसने यह कार्य किया ? राघव पूंछते हैं
हनुमंत ::
लंका पांच लोग जला रहे थे
१ प्रभू आपका प्रताप था ।
२ मां जानकी का संताप था ।
३ ॠषियो का श्राप था ।
४ रावण का पाप था ।
५ हमारा बाप था ।
सरकार यदि लंका जलाना अपराध था तो इन पांच को सजा मिले हम तो निमित्त मात्र थे
भाव लोक से लिखित लेख में त्रुटियों पर आप भावग्राही ध्यान नहीं देंगे ।
अंत में आप सब में विराजित सांवरे को शब्दावली अर्पित करते हुए अभिवादन
संत चरण अनुरागी
अनुरागी जी
जाम्बवान दादा ::
लंका जलाने का आदेश नहीं था आपने क्यूँ जलाया ?
श्री हनुमंत ::
दादा ~ शास्त्र मत यह की
जिन्ह हरि भगति हृदय नहिँ आनी ।
जीवत सव समान तेइ प्राणी ।।
हमें हरि भक्त दिखे नहीं शव को जलाना तो पुन्य कार्य होता है दादा जी
जाम्बवंत ::
चलो प्रभू जब पूंछेंगे तो उन्हें अपना तर्क दीजियेगा ।
और सरकार भी प्रश्न कर ही देते हैं
मेरे हनुमंत प्रभू से कह रहे हैं सरकार लंका मैंने नहीं जलाई
तो किसने यह कार्य किया ? राघव पूंछते हैं
हनुमंत ::
लंका पांच लोग जला रहे थे
१ प्रभू आपका प्रताप था ।
२ मां जानकी का संताप था ।
३ ॠषियो का श्राप था ।
४ रावण का पाप था ।
५ हमारा बाप था ।
सरकार यदि लंका जलाना अपराध था तो इन पांच को सजा मिले हम तो निमित्त मात्र थे
भाव लोक से लिखित लेख में त्रुटियों पर आप भावग्राही ध्यान नहीं देंगे ।
अंत में आप सब में विराजित सांवरे को शब्दावली अर्पित करते हुए अभिवादन
संत चरण अनुरागी
अनुरागी जी
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
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