प्रसंग उस समय का है जब् कुरु क्षेत्र कौरव और पांडवो की सेना युद्ध के लिए पहुंच चुकी थी तो उसी रात्रि में धृतराष्ट् को नीद नही आई उस पर महाराज ने विदुर से नीद न आने का कारण पूछा तो विदुर जी ने उत्तर दिया और कहा
अभियुक्तमं बलवताम् दुर्वलम हिन् साधनः।
हृतंस्यः कामनीम चोरम् विशन्ति प्रजागराः।।⤵
हृतंस्यः कामनीम चोरम् विशन्ति प्रजागराः।।⤵
परम् बुद्धिमान विदुर जी कहने लगे महाराज यदि किसी का वलवान के साथ वैर हो जाये या फिर कोई बड़ा कार्य आ जाये उसको करने की क्षमता न हो और पर स्त्री का चिंतन करने वाला व् चोर इन चार प्रकार के लोगों को रात्रि में नीद नही आती इस धृतराष्ट् ने कहा में आपका कथन सुनना नही चाहता तुम जा सकते हो
सत्य कड़वा होता है क्या आप भी नही सुनना चाहते तो हम चुप हो गए लो।।
प्रणाम
सत्य कड़वा होता है क्या आप भी नही सुनना चाहते तो हम चुप हो गए लो।।
प्रणाम
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
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