Wednesday, November 11, 2015

|| पितामाता तथा भ्राता आचार्यः कुल नन्दनः ||


      

पितामाता तथा भ्राता आचार्यः कुल नन्दनः।
नार्तेनाप्य मन्तव्या ब्रामणेंन विशेषतः।।⤵
पिता माता बड़ा भाई और जो कुल में मुख्य व्यक्ति हो समय पर अच्छी मन्त्रणा प्रदान करने वाला विशेषतः ब्राह्मण इनका कभी भूलकर भी अपमान नही करना चाहिए।
आचार्यो ब्रह्मायै मूर्तिःपिता मूर्तिः प्रजापते।
माता पृथिव्या मूर्तिहस्तु भ्राता स्वमूर्तिनः।।⤵
आचार्य ब्रह्म की पिता ब्रह्मा की मूर्ति होता है और माता पृथ्वी की और भाई स्वम् की मूर्ति होते हें इनके लिए शिष्टाचार का विशेष ध्यान रखना चाहिये
ज्येष्ठ पित्रसमो भ्राता मृते पितरि शोनकः।
सर्वेषाम् पिताहिस्याद् शर्वेसानु पालकः।।⤵
पिता की मृत्यु के उपरांत जेष्ठ भ्राता ही पिता होता है और उसका कर्तव्य होता है कि जिस तरह पिता ने सभी का पालन पोषण किया ठीक उसी तरह पिता का कर्तव्य निभाना चाहिये
    आप सभी वेदवेदांग पारंगत परम् श्रध्ये ब्रह्मवेत्ताओं व् श्रद्धा मयीं मात्र शक्तियो को मेरा नमन 
समर्पित धर्मार्थ वार्ता संघ समस्त परिवार के चरणों में

पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830 

No comments:

Post a Comment