Wednesday, November 4, 2015

शुभाशीषः ।🌺
यावत् तोयधराधरा धर धरा धारा धरा भूधरा ।
यावत् चारुसुचारु चारु चमरं चामीकरं चामरम् ।
यावत् रावण रामरामरमणं
रामायणं श्रुयते ।
तावत् भोग विभोगभोगमतुलं भोगायते नित्यशः ।।

6 comments:

  1. could give Hindi meaning of this verse?

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  2. अर्थ लिख दीजिए

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    1. कृपया श्लोक का अर्थ लिखें!

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    2. क्या आपके सम्पर्क में ऐसे कोई विद्वान नहीं हैं जो इस श्लोक का अर्थ लिख सकें? पाठक कब से मांग कर रहे हैं?

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