देह मे वास करें कमला अरु कंठ विराजे सरस्वती वाणी,पूरण काज गणेश करे अरू विघ्न हरतु है रूद्राणी | चिरंजीवी रहो तू सदा जसु चन्द्रकला सुषमासरसानी,देश विदेश मे किर्ती बढ़े यह है शुभ आशिष ब्राह्मण वाणी |
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