Monday, September 26, 2016

२७/९/२०१६--की वार्ता

[25/09 9:28 am] पं. मंगलेश्वर त्रिपाठी: सर्वेभ्यो भू देवेभ्यो नमो नम: सुप्रभातम्🌹🙏🌹
संत शिरोमणि बाबा तुलसीदास जी लिखते हैं कि यदि तू भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहता है तो मुखरूपी द्वार की जीभरूपी देहली पर राम नाम रूपी मणि दीपक को रख । राम नाम मणि है । राम नाम परम श्रेष्ठ है । राम नाम परम योग्य है । यदि तू आंतरिक और बाह्य प्रभामण्डल को प्रकाशित करना चाहता है तो इसे जीभ के ऊपर रख, जीभ में धारण कर और जीभ से ग्रहण कर । ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार घर-द्वार और डेहरी-आँगन को उजियाला करने के लिए दीपक को क्रमश- द्वार और डेहरी में रखा जाता है । इससे घर के अन्दर और घर के बाहर साथ ही डेहरी और आँगने में भी उसका प्रकाश फैलता है ।
जो दीपक तेल-बाती या घी-बत्ती इत्यादि पर निर्भर रहता है, वह हवा पानी आदि कारणों से बुझ भी जाता है । यद्यपि विद्युत प्रकाश सामान्य हवा-पानी से तो नहीं बुझता, तथापि तेज आँधी, भारी वर्षा, त्रुटिपूर्ण विद्युत प्रवाह, तारों का संयोग-वियोग इत्यादि अनेक कारणों से यह भी बुझ जाता है । केवल मणि या फिर आत्मदीप ही एक ऐसा मणिदीप है जो कभी नहीं बुझता, क्योंकि यह स्वयं प्रकाशित होता है । इसमें कोई अन्य बाधक नहीं होता । चूँकि राम नाम धारण करने मात्र से ज्ञानदीप के माध्यम से ब्रह्माग्नि प्रज्वलित हो जाता है और ब्रहामाग्नि प्रज्वलित हो जाने से साधक ब्रह्ममय हो जाता है, इसलिए तू केवल रामनाम को जीभ में रख ।
“पुरम्, एकादशद्वारम्” (श्रुति ) के अनुसार इस देहरूपी पुरी के एकादश द्वार हैं । दस द्वार तो सर्वविदितहैं । ग्यारहवाँ द्वार नाभि को माना गया है । ग्यारह द्वार से युक्त देहपुरी का जो पुरद्वार है, जो सबसे बड़ा होता है , वह है मुख । जिस प्रकार घर (आँगन-देहरी) द्वरा का संयोग है ठीक उसी प्रकार शरीरांग और एकादश द्वार का संयोग है । जैसे – दीया, तेल, बाती और लौ, ठीक वैसे ही मुँह, लार, जीभ और रामनाममणि । मूँहरूपी दीया, लार रूपी तेल, जीभरूपी बाती और रामनाममणि रूपी लौ । अतएव इसी जीभरूपी बत्ती में रामनाममणि रूपी टेम को प्रज्वलित कर, जो कभी न बुझे, जो कभी न अटके । नाममणि जीभ पर निरन्तर बना रहे ।
जिस प्रकार दीपक की लौ अथवा प्रकाश को घर अन्दर-बाहर, दहलीज-आँगन इत्यादि कहीं भी ले जा सकते हैं ठीक इसी प्रकार जीभ में रखकर इस नाममणि को कहीं भी ले जा सकते हैं । जिस प्रकार दीपक की लौ व्यक्ति के किसी भी कार्य में बाधक नहीं होता, ठीक उसी प्रकार नाममणि भी व्यक्ति के कीसी भी गार्य में बाधक नहीं होता । इसका आशय यह है कि नाममणि साधक का सहायक ही नहीं अपितु प्रेरक भी होता है । इसलिए ध्यान रहे कि नाममणि की ज्योति सदा जलती रहे । यह ध्यान रहे कि श्री गोस्वामीजी ने यहाँ पर नामि वंदना, नाम जपना और नाम स्मरण इत्यादि नहिं लिखा है । केवल नाम धरु लिखा है । इस कारण तू केवल इस मणि को ही जीभ में रख, ग्रहण कर या फिर धारण कर ।
इस प्रक्रिया में होंट को हिलाने और जीभ को डुलाने की आवश्यकता नहीं होती है । यह जब बिना जपे ही होता रहता है। वह मंत्र जो बिना जपे अथवा बिना यत्न के जपा जा सके, स्वाभाविक अथवा श्वासोच्छ्वास को ‘अजपाजप’ या ‘हंस मंत्र’ कहा गया है । हं = श्वास खींचना, स = श्वास छोड़ना । शरीर के रोम-रोम से यह जप स्वाभाविक रूप से श्वास के आने-जाने के साथ ही होता रहता है । यह जप श्वास निरोध के साथ भी होता रहता है । नाथ सम्प्रदाय की साधना में भी इसे अजपाजप ही कहा गया है । सिद्ध साहित्य में इसे व्रज्रजप के नाम से मान्य किया गया है । संत साधना में इसे सहजजप कहा गया है । इससे मन स्थिर हो जाता है । यह एक श्रेष्ठ व्रत है। इससे अनुपम ज्ञान की उपलब्धि होती है।
[25/09 12:11 pm] P ti. satyprkash: केंद्र सरकार को चाहिए कि जितने
आतंकवादी मारे जाएं उनके शव दफनाने की बजाय जलाना शुरू कर दें।

यह उपाय आतंकवाद मे कमी आने का उपाय साबित हो सकता है। क्योंकि पहली बात आतंकवाद का कोइ धर्म नहीं होता I
इसलिए क्या फर्क पडता है I
उसे जलाया या दफनाया जाए ?

दूसरी बात फिदायीन हमलावर मरने के बाद जलने लगेंगे तो जिन 72 हूरों के लालच मे वह जिहादी बनते हैं , उस सुख को कभी प्राप्त नहीं कर पाएंगे क्योंकि जलने के बाद शरीर राख बन जाएगा।
,
,
यह आजमाया जाना चाहिए प्रायोगिक तौर
पर यदि कोइ विरोध करे तो बडे आराम से आतंकवाद का धर्म पता लग जाएगा।

मरे हुए आतंकवादियों को कचरे
के ढ़ेर के साथ जला देना चाहिए I

१. दफनाने से साबित होता है कि
आतंकवाद का कोई धर्म जरुर है.

२. वैसे भी आतंकवादी के शव कोई
देश वापस नहीं लेता है तो अपनी
जमीन पर उनको दफनाने का क्या
औचित्यन ?

३. हर आतंकवादी को ये संदेश
जायेगा कि मरे तो जन्नत का तो
पता नहीं दो गज जमीन तक नहीं
मिलेगी I

४. मरने के बाद मानवाधिकार का
मामला भी नहीं बनता I

५. अपने देश की जमीन उन नापाक
इरादे रखने वालों दफन के लिए
इस्तेमाल क्यों करनी ?

६. आतंकवाद को धर्म नहीं मामने
वालों की पहचान हो जायेगी !

७. आतंकियों की पैरवी करने वालों
की पोल खुल जायेगी और पता
चल जायेगा कि यहॉ कितने भेड़िये
पल रहे है ?

८. आतंकवाद की जगह कचरे में
होगी तो सारे विश्व में श्रेष्ठ संकेत
जायेगा कि आप वास्तव में आतंकवाद
को किस तरह से नष्ट कर सकते हो I

९. यह भी पता लग जायेगा कि
इनको कचरे के साथ जलाने से
कितनों की जलती है I

🙏🏼
[25/09 2:34 pm] कृष्णा जी: 🚩🙏श्री राधे कृष्ण  शरणम् मम 🚩🙏🚩

बड़े भाग्य ज्ञानी सत्संग पायो
अहोभाग्य है आज के युग की व्यस्तता के बावजूद सत्संग वन्दना ज्ञान की प्रप्ति आत्मिक सुख की अनुभूति हो रही है इसका दायित्व आप सभी के ना ना प्रकार के विचार रूपी पोस्ट को जाता है आप सभी गुरू जन के पोस्ट सुन्दर सराहनीय है सादर आभार सहित 🚩🙏🚩श्री राधे राधे 🚩
कृष्णा मिश्र
माँ शारदे धाम मैहर 🚩
[25/09 4:24 pm] P ti. satyprkash: ओमिस जी पुरुष सूक्त यजुर्वेद और ऋग्वेद  दोनों में ही समान रूप से आया है जिसमे विराट पुरुष नारायण का ही वर्णन है  तो मन्त्र के देवता भी स्वयं वेद स्वरूप नारायण ही हैं।
[25/09 5:07 pm] ओमीश Omish Ji: गाँव के कुएँ पर 3 महिलाएँ पानी भर रही थीं।

तभी एक महिला का बेटा वहाँ से गुजरा।
उसकी माँ बोली---" वो देखो, मेरा बेटा,
                             इंग्लिश मीडियम में है। "

थोड़ी देर बाद दूसरी महिला का पुत्र गुजरा।
उसकी माँ बोली---" वो देखो मेरा बेटा,
                             सीबीएसई में है। "

तभी तीसरी महिला का पुत्र वहाँ से गुजरा,
दुसरे बेटों की तरह ही उसने भी अपनी माँ को देखा
और माँ के पास आया।
पानी से भरी गघरी उठाकर उसने अपने कंधे पर रखी,
दुसरे हाँथ में भरी हुई बाल्टी सम्हाली और
माँ से बोला---" चल माँ, घर चल। "

उसकी माँ बोली---" ये सरकारी स्कूल में पढता है। "
उस माँ के चेहरे का आनंद देख बाकी दूसरी
दो महिलाओं की नजरें झुक गईं।

उपरोक्त कथा का तात्पर्य सिर्फ यही है कि,
लाखों रुपए खर्च करके भी संस्कार नहीं खरीदे
जा सकते...!!

अच्छा लगे तो, जरूर शेयर करें।

. 💐
[25/09 11:10 pm] पं. मंगलेश्वर त्रिपाठी: “कबीरा सब जग निर्धना धनवन्ता नहीं कोय ।
धनवन्ता सोई जानिये जाके राम नाम धन होय ।।”

इसलिए रामनाम धर कर, धारण कर, ग्रहण कर अथवा ले-ले कर, धनधान्य हो जाओ, चलते-फिरते, उठते-बैठते, सोते-जागते प्रत्येक समय राम-राम-राम-राम राम-राम व्रज्रजप, सहजजप, हंसजप, अजपाजप जपा करो ।
[25/09 11:44 pm] P ti. satyprkash: कहो मंगलेश्वर जी  एह में कवन अध्यक्षता करई के बा हो
😀😀😀
श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी ने मुख्य रूप से श्रीराम के पैर के 4 ही चिन्हों का वर्णन किया है- ध्वज, वज्र, अंकुश, कमल , किंतु अन्य पवित्र ग्रंथों को मिलाकर देखा जाए तो 48 पवित्र चिन्ह मिलते हैं। दक्षिण पैर में 24 चिन्ह और वाम पैर में 24 चिन्ह ।
[25/09 11:47 pm] पं. मंगलेश्वर त्रिपाठी: जय हो भैया जी क्या बात है |यही तो अध्यक्षता इतना जल्दी प्रश्नोत्तर आना आसान काम नहीं होता धन्य हैं आप कोटिश: धन्यवाद सादर नमन🌹🙏🌹🤔
[25/09 11:49 pm] P ti. satyprkash: दिलचस्प तथ्य यह भी है कि जो चिन्ह श्रीराम के दक्षिण पैर में हैं वे भगवती सीता के वाम पैर में हैं। और जो चिन्ह राम जी के वाम पैर में हैं वे सीता जी के दक्षिण पैर में हैं। और अदभुत रहस्य यह है कि श्री राम जी के उदर पे नाभि के पास तीन रेखायें हैं जिन्हें त्रिवेली कहते हैं। वही तीन रेखायें (त्रिवेली) सीता जी की पीठ पर हैं
[25/09 11:51 pm] ओमीश Omish Ji: भैया जी को मुहुर्मुह प्रणाम 🙏�🙏�🙏�🙏�🙏�

अतिसुन्दर जानकारी जो दुर्लभ थी अपने लिए।
लेकिन यह धर्मार्थ है जिससे हम सब धन्य होते हैं 🙏�🙏
[25/09 11:52 pm] P ti. satyprkash: रेखा त्रय सुन्दर उदर नाभी रूचिर गंभीर ।

श्रीराम जी के दक्षिण पैर के शुभ चिन्ह

ऊर्ध्व रेखा, स्वस्तिक , अष्टकोण, श्री लक्षमीजी,हल,मूसल , सर्प, शर, अम्बर,कमल, रथ, बज्र, यव, कल्पवृक्ष, अंकुश, ध्वजा, मुकुट, चक्र, सिंहासन, यमदंड, चामर, छत्र, नर (पुरूष), जयमाला

श्रीरामजी के वाम पैर के शुभ चिन्ह –

सरयू, गोपद, भूमि-पृथ्वी, कलश, पताका, जम्बूफल, अर्ध चन्द्र, शंख, षट्कोण, त्रिकोण, गदा, जीवात्मा, बिन्दु
शक्ति, सुधाकुण्ड, त्रिवली, मीन-ध्वज, पूर्ण चन्द्रमा, वीणा, वंशी-वेणु, धनुष, तुणीर, हंस, चंद्रिका
[26/09 7:52 am] पं रोहित: 🙏🏻मर्यादा पुरूसोत्तम भगवान राम के कितने चरण चिन्हों का वर्णन किया गया है |🌹🙏🌹उत्तर.....

श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी ने मुख्य रूप से श्रीराम के पैर के 4 ही चिन्हों का वर्णन किया है- ध्वज, वज्र, अंकुश, कमल , किंतु अन्य पवित्र ग्रंथों को मिलाकर देखा जाए तो 48 पवित्र चिन्ह मिलते हैं। दक्षिण पैर में 24 चिन्ह और वाम पैर में 24 चिन्ह ।
दिलचस्प तथ्य यह भी है कि जो चिन्ह श्रीराम के दक्षिण पैर में हैं वे भगवती सीता के वाम पैर में हैं। और जो चिन्ह राम जी के वाम पैर में हैं वे सीता जी के दक्षिण पैर में हैं। और अदभुत रहस्य यह है कि श्री राम जी के उदर पे नाभि के पास तीन रेखायें हैं जिन्हें त्रिवेली कहते हैं। वही तीन रेखायें (त्रिवेली) सीता जी की पीठ पर हैं

रेखा त्रय सुन्दर उदर नाभी रूचिर गंभीर ।

श्रीराम जी के दक्षिण पैर के शुभ चिन्ह

ऊर्ध्व रेखा, स्वस्तिक , अष्टकोण, श्री लक्षमीजी,हल,मूसल , सर्प, शर, अम्बर,कमल, रथ, बज्र, यव, कल्पवृक्ष, अंकुश, ध्वजा, मुकुट, चक्र, सिंहासन, यमदंड, चामर, छत्र, नर (पुरूष), जयमाला

श्रीरामजी के वाम पैर के शुभ चिन्ह –

सरयू, गोपद, भूमि-पृथ्वी, कलश, पताका, जम्बूफल, अर्ध चन्द्र, शंख, षट्कोण, त्रिकोण, गदा, जीवात्मा, बिन्दु
शक्ति, सुधाकुण्ड, त्रिवली, मीन-ध्वज, पूर्ण चन्द्रमा, वीणा, वंशी-वेणु, धनुष, तुणीर, हंस, चंद्रिका।।।

जै हो
[26/09 8:01 am] प विजयभान: 🙏ॐ नमः शिवाय सुप्रभातम् 🙏
                मेरे इष्ट देव  भगवान भूतभावन भोलेनाथ के अंश हे भुदेवों ! मैं तुम्हें उसी प्रकार वंदन करता हूँ।  जैसे अपने इष्टदेव श्रीशिवजी को वन्दता हुँ ---ॐ नमः शिवाय
भगवान् भोले शंकर की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो--- सुप्रभातम
[26/09 8:19 am] P ss: .      🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 ।। 🕉 ।।
  🚩 🌞 *सुप्रभातम्* 🌞 🚩
««« *आज का पंचांग* »»»
कलियुगाब्द.............5118
विक्रम संवत्...........2073
शक संवत्..............1938
मास....................अश्विन
पक्ष.......................कृष्ण
तिथी..................एकादशी
रात्रि 01.03 पर्यंत पश्चात द्वादशी
तिथिस्वामी.................रूद्र
नित्यदेवी.........निलपताका
रवि.................दक्षिणायन
सूर्योदय.......06.17.07 पर
सूर्यास्त.......06.19.37 पर
नक्षत्र......................पुष्य
दोप 03.03 पर्यंत पश्चात अश्लेशा
योग.......................शिव
दोप 03.41 पर्यंत पश्चात सिद्ध
करण......................बव
दोप 12.41 पर्यन्त पश्चात बालव
ऋतु.......................वर्षा
दिन..................सोमवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
26 सितम्बर सन 2016 ईस्वी ।

👁‍🗨 *राहुकाल* :-
प्रात: 07.48 से 09.18 तक ।

🚦 *दिशाशूल* :-
पूर्व दिशा- यदि आवश्यक हो तो दर्पण देखकर यात्रा प्रारंभ करें।

☸ शुभ अंक..............5
🔯 शुभ रंग..............लाल

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 06.19 से 07.48 तक अमृत
प्रात: 09.18 से 10.47 तक शुभ
दोप. 01.47 से 03.16 तक चंचल
अप. 03.16 से 04.46 तक लाभ
सायं 04.46 से 06.16 तक अमृत
सायं 06.16 से 07.46 तक चंचल ।

💮 *आज का मंत्र* :-
।। ॐ नारायणाय नमः ।।

 *संस्कृत सुभाषितानि* :-
*अष्टादशोऽध्यायः - मोक्षसंन्यासयोग :-*
श्रीभगवानुवाच -
काम्यानां कर्मणां न्यासं
संन्यासं कवयो विदुः ।
सर्वकर्मफलत्यागं प्राहुस्त्यागं विचक्षणाः ॥१८- २॥
अर्थात :-
श्री भगवान बोले- कितने ही पण्डितजन तो काम्य कर्मों के त्याग को संन्यास समझते हैं तथा दूसरे विचारकुशल पुरुष सब कर्मों के फल के त्याग को त्याग कहते हैं॥2॥

🍃 *आरोग्यं* :-
गर्म पानी के फायदे :-

♍अगर आप स्किन प्रॉब्लम्स से परेशान हैं या ग्लोइंग स्किन के लिए तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स यूज करके थक चूके हैं तो रोजाना एक गिलास गर्म पानी पीना शुरू कर दें। आपकी स्किन प्रॉब्लम फ्री हो जाएगी व ग्लो करने लगेगी।

♍लड़कियों को पीरियड्स के दौरान अगर पेट दर्द हो तो ऐसे में एक गिलास गुनगुना पानी पीने से राहत मिलती है। दरअसल इस दौरान होने वाले पैन में मसल्स में जो खिंचाव होता है उसे गर्म पानी रिलैक्स कर देता है।

♍गर्म पानी पीने से शरीर के विषैले तत्व बाहर हो जाते हैं। सुबह खाली पेट व रात्रि को खाने के बाद पानी पीने से पाचन संबंधी दिक्कते खत्म हो जाती है व कब्ज और गैस जैसी समस्याएं परेशान नहीं करती हैं।

♍भूख बढ़ाने में भी एक गिलास गर्म पानी बहुत उपयोगी है। एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू का रस और काली मिर्च व नमक डालकर पीएं। इससे पेट का भारीपन कुछ ही समय में दूर हो जाएगा।

♍खाली पेट गर्म पानी पीने से मूत्र से संबंधित रोग दूर हो जाते हैं। दिल की जलन कम हो जाती है। वात से उत्पन्न रोगों में गर्म पानी अमृत समान फायदेमंद हैं।

⚜ *आज का राशिफल* :-

🐑 *राशि फलादेश मेष* :-
आपकी ख्याति, सम्मान में बढ़ोतरी होगी। काम-धंधे के क्षेत्र में उन्नति के योग हैं। अच्छे कामों में धन खर्च होगा। आत्मविश्वास बढ़ेगा।
             
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
पारिवारिक सहयोग मिलेगा जिससे कार्य के प्रति उत्साह बढ़ेगा। विद्यार्थियों को पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। जोखिम लेने से बचें।
              
👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
पिता के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न करें। आर्थिक परेशानी से निराशात्मक विचार मन में आएंगे। अपने दुर्व्यसनों पर संयम रखना होगा।
              
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
कार्यों के मनचाहे परिणाम मिल सकेंगे। वाणी में प्रभाव होने से लोगों से अपनी बात आसानी से मनवा लेंगे। कार्यक्षेत्र का विस्तार हो सकेगा।
           
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
आपकी लोकप्रियता में इजाफा होगा। धार्मिक, मांगलिक कार्यों की रूपरेखा बनेगी। स्वास्थ्य मध्यम रहेगा। परिश्रम का अच्छा फल मिल सकेगा।
  
👸🏻 *राशि फलादेश कन्या* :-
पारिवारिक सुख मिलेगा। अच्छे व्यक्तियों के साथ अच्छे संबंध रहेंगे। आमदनी के स्थायी स्रोत मिलेंगे। बुजुर्गों की सेवा करेंगे। आलस्य का त्याग करें।
          
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
पत्र-सूचना मिलेगी। जीवनसाथी के व्यवहार में अनुकूलता रहेगी। किए गए कार्य फलीभूत होंगे। निर्णय लेने में विलंब न करें।
             
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
व्यापार में लाभ मानसिक प्रसन्नता एवं उत्साह में वृद्धि करेगा। जीवनसाथी के सम्मान में वृद्धि होगी। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी।
              
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
महत्वपूर्ण विचार-विमर्श होंगे। आलस्य से बचकर सक्रिय हो जाना आपके लिए लाभप्रद रहेगा। परिवार में क्लेश हो सकता है।
             
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
व्यवसाय में किसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। संतान की चिंता रहेगी। व्यर्थ भ्रम में न पड़कर स्व-विवेक से काम करें।
              
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आपकी बुद्धिमानी और कार्य के प्रति लगन की अधिकारी प्रशंसा करेंगे। कार्य में जल्दबाजी नहीं करना चाहिए।
           
🐟 *राशि फलादेश मीन* :-
आर्थिक निवेश बढ़ेगा। रुके काम समय पर पूरे होंगे। व्यापार में लाभ होगा। बड़े लोगों से मेलजोल बढ़ेगा। आर्थिक चिंता सहज ही हल होगी।
          
☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो ।

🍁🍁🍁🍁🍁🍁।। 🐚 *शुभम भवतु* 🍁🍁🍁🍁🍁🐚 ।।

🇮🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩
[26/09 10:09 am] पं अनिल ब: सर्वेभ्यो नमो नमः🙏🏻🌷🙏🏻सुप्रभातम

अकामः सर्वकामो वा मोक्षकाम उदारथीः |
तीव्रेण भक्तियोगेन यजेत पुरुषं परम् ||

प्रज्ञस्त प्रज्ञासम्पन्न व्यक्ति चाहे अकाम हो या सकाम अथवा मोक्षकाम, उसे तीव्र भक्तियोग के द्वारा परम पुरुष परमात्मा की ही करनी चाहिए |
🙏🏻🌷🙏🏻जय महाँकाल🙏🏻🌷🙏🏻
[26/09 11:19 am] पं. मंगलेश्वर त्रिपाठी: शांभवी बिटिया को  जन्मदिवस की हार्दिक शुभ कामानाओं के सहित उज्जल भविष्य की कामना करता हूं |ढेर सारा आशिर्वाद मंगलेश्वर चाचा की तरफ से🙌�🙌�🤓
[26/09 2:14 pm] प विजयभान: शांभवी बिटियाँ को ख़ूब सारा प्यार और 🙌🏻🌷🙌🏻आशीर्वाद 🎂🎂🎂 जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाये 🙌🙌🙌
[26/09 2:33 pm] कृष्णा जी: मैया का दर सबसे सुंदर , सबसे प्यारा धाम है !
"वैष्णो माता" का जग मे सबसे ऊंचा नाम है
इनसे नाता जोड़िए  "जय माता दी" बोलिये !!
🚩🙏🏻🚩
[26/09 4:34 pm] ओमीश Omish Ji: *कितनी खूबसूरती से लिखा है एक पति ने अपनी पत्नी के बारे मे*                

मैं सोता हूँ घर में शाँति छा जाती है वो सोती है घर में सूनापन छा जाता है

मैं घर लौटता हूँ घर में शाँति हो जाती है वो घर लौटती है घर में रौनक हो जाती है

मैं सो कर उठता हूँ घर में फरमाइशें गूँजती हैं वो सो कर उठती है घर में पूजा की घंटियाँ गूँजती हैं

मेरा घर लौटना उस का आत्मविश्वास बढ़ाता है उस का घर लौटना घर में लक्ष्मी व अन्नपूर्णा का वास होता है
[26/09 5:23 pm] Mhakal जी: तुम बगिया की वो डाल हो शाम्भवी जो सदा सदा से हरी रहे ।
ये जीवन रूपी जग पावन की धरा तुम्हारे गुणों सदा भरी रहे ।
हैं आस तुम्ही से हे बिटिया सुनलो अभिलाषा मेरी सदा पूर रहे।
जब जगपावन के सीमांकन ने नाम का डंका सदा बजे।
तुम झिल मिल तारों से चमकती रहो ।
घर आंगन बगिया तुमसे हर दम महकती रहे।
है आशीष हमारा जीवन भर प्यार पिता का मिलता रहे।
सास दुलार करे सदा और प्यार पति यूँ देता रहे।
[26/09 6:59 pm] P ss: विद्या मित्रं प्रवासेषु ,भार्या मित्रं गृहेषु च |
व्याधितस्यौषधं मित्रं , धर्मो मित्रं मृतस्य च ||

अर्थात् :
ज्ञान यात्रा में ,पत्नी घर में, औषध रोगी का तथा धर्म मृतक का ( सबसे बड़ा ) मित्र होता है |
🍁🍁🌴🙏🏻🍁🍁
[26/09 7:11 pm] P ti. satyprkash: सर्वेभ्यो नमो नम
शुभ सन्ध्या💐
आचार्य गण कृपया विचार करें अगर वर कन्या की कुंडली में 36 गुण मिल रहे हो तो क्या विवाह संबन्ध उचित है।
[26/09 11:51 pm] P Alok Ji: जन्म कुंडली के चौथे व पाँचवें भाव से जानें विषय— (ज्योतिष अनुसार शिक्षा के योग))—–

जन्म कुंडली के चौथे व पाँचवें भाव से जानें विषय—

(ज्योतिष अनुसार शिक्षा के योग))—–

दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करते ही ‘कौन-सा विषय चुनें’ यह यक्ष प्रश्न बच्चों के सामने आ खड़ा होता है। माता-पिता को अपनी महत्वाकांक्षाओं को परे रखकर एक नजर कुंडली पर भी मार लेनी चाहिए। बच्चे किस विषय में सिद्धहस्त होंगे, यह ग्रह स्थिति स्पष्ट बताती है।
आज जीवन के हर मोड़ पर आम आदमी स्वयं को खोया हुआ महसूस करता है। विशेष रूप से वह विद्यार्थी जिसने हाल ही में दसवीं या बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है, उसके सामने सबसे बड़ा संकट यह रहता है कि वह कौन से विषय का चयन करे जो उसके लिए लाभदायक हो। एक अनुभवी ज्योतिषी आपकी अच्छी मदद कर सकता है। जन्मपत्रिका में पंचम भाव से शिक्षा तथा नवम भाव से उच्च शिक्षा तथा भाग्य के बारे में विचार किया जाता है। सबसे पहले जातक की कुंडली में पंचम भाव तथा उसका स्वामी कौन है तथा पंचम भाव पर किन-किन ग्रहों की दृष्टि है, ये ग्रह शुभ-अशुभ है अथवा मित्र-शत्रु, अधिमित्र हैं विचार करना चाहिए। दूसरी बात नवम भाव एवं उसका स्वामी, नवम भाव स्थित ग्रह, नवम भाव पर ग्रह दृष्टि आदि शुभाशुभ का जानना। तीसरी बात जातक का सुदर्शन चंद्र स्थित श्रेष्ठ लग्न के दशम भाव का स्वामी नवांश कुंडली में किस राशि में किन परिस्थितियों में स्थित है ज्ञात करना, तीसरी स्थिति से जातक की आय एवं आय के स्त्रोत का ज्ञान होगा। जन्मकुंडली में जो सर्वाधिक प्रभावी ग्रह होता है सामान्यत: व्यक्ति उसी ग्रह से संबंधित कार्य-व्यवसाय करता है। यदि हमें कार्य व्यवसाय के बारे में जानकारी मिल जाती है तो शिक्षा भी उसी से संबंधित होगी। जैसे यदि जन्म कुंडली में गुरु सर्वाधिक प्रभावी है तो जातक को चिकित्सा, लेखन, शिक्षा, खाद्य पदार्थ के द्वारा आय होगी। यदि जातक को चिकित्सक योग है तो जातक जीव विज्ञान विषय लेकर चिकित्सक बनेगा। यदि पत्रिका में गुरु कमजोर है तो जातक आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, रैकी या इनके समकक्ष ज्ञान प्राप्त करेगा। श्रेष्ठ गुरु होने पर एमबीबीएस की पढ़ाई करेगा। यदि गुरु के साथ मंगल का श्रेष्ठ योग बन रहा है तो शल्य चिकित्सक, यदि सूर्य से योग बन रहा है तो नेत्र चिकित्सा या सोनोग्राफी या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से संबंधित विषय की शिक्षा, यदि शुक्र है तो महिला रोग विशेषज्ञ, बुध है तो मनोरोग तथा राहु है तो हड्डी रोग विशेषज्ञ बनेगा। चंद्र की श्रेष्ठ स्थिति में किसी विषय पर गहन अध्ययन करेगा। लेखक, कवि, श्रेष्ठ विचारक बनेगा तथा बीए, एमए कर श्रेष्ठ चिंतनशील, योजनाकार होगा। सूर्य के प्रबल होने पर इलेक्ट्रॉनिक से संबंधित शिक्षा ग्रहण करेगा। यदि मंगल अनुकूल है तो ऐसा जातक कला, भूमि, भवन, निर्माण, खदान, केमिकल आदि से संबंधित विषय शिक्षा ग्रहण करेगा। बुध प्रधान कुंडली वाले जातक बैंक, बीमा, कमीशन, वित्तीय संस्थान, वाणी से संबंधित कार्य, ज्योतिष-वैद्य, शिक्षक, वकील, सलाहकार, चार्टड अकाउंटेंट, इंजीनियर, लेखपाल आदि का कार्य करते हैं। अत: ऐसे जातक को साइंस, मैथ्स की शिक्षा ग्रहण करना चाहिए किंतु यदि बुध कमजोर हो तो वाणिज्य विषय लेना चाहिए। बुध की श्रेष्ठ स्थिति में चार्टड अकाउंटेंट की शिक्षा ग्रहण करना चाहिए। शुक्र की अनुकूलता से जातक साइंस की शिक्षा ग्रहण करेगा। शुक्र की अधिक अनुकूलता होने से जातक फैशन, सुगंधित व्यवसाय, श्रेष्ठ कलाकार तथा रत्नों से संबंधित विषय को चुनता है। शनि ग्रह प्रबंध, लौह तत्व, तेल, मशीनरी आदि विषय का कारक है। अत: ऐसे जातकों की शिक्षा में व्यवधान के साथ पूर्ण होती है। शनि के साथ बुध होने पर जातक एमबीए फाइनेंस में करेगा। यदि शनि के साथ मंगल भी कारक है तो सेना-पुलिस अथवा शौर्य से संबंधित विभाग में अधिकारी बनेगा। राहु की प्रधानता कुटिल ज्ञान को दर्शाती है। केतु – तेजी मंदी तथा अचानक आय देने वाले कार्य शेयर, तेजी मंदी के बाजार, सट्टा, प्रतियोगी क्वीज, लॉटरी आदि। कभी-कभी एक ही ग्रह विभिन्न विषयों के सूचक होते हैं तो ऐसी स्थिति में जातक एवं ज्योतिषी दोनों ही अनिर्णय की स्थिति में आ जाते हैं। उसका सही अनुमान लगाना ज्योतिषी का कार्य है। ऐसी स्थिति में देश, काल एवं पात्र को देखकर निर्णय लेना उचित रहेगा। जैसे नवांश में बुध का स्वराशि होना ज्योतिष, वैद्य, वकील, सलाहकार का सूचक है। अब यहां जातक के पिता का व्यवसाय (स्वयं की रुचि) जिस विषय की होगी, वह उसी विषय का अध्ययन कर धनार्जन करेगा।
सामान्यत: वैदिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरू और शनि इन सात ग्रहों का अपना अलग-अलग क्षेत्र और प्रभाव है। लेकिन, जब इन ग्रहों का आपसी योग बनता है तो क्षेत्र और प्रभाव बदल जाते हैं।
[27/09 8:51 am] ओमीश Omish Ji: ☘☘                             ☘☘

                    _*मन* का_
                    _झुकना_
                _बहुत ज़रूरी है..._

              _मात्र सर झुकाने से_
                   _*परमात्मा*_
                  _नहीं मिलते !_

                  ☘☘☘            ➖🙏मंगलम् सुप्रभातम्🙏➖
[27/09 9:14 am] Mhakal जी: यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है। लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं। इस संदर्भ में शास्त्रों में कहा गया है कि 
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'शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। 
गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता

इसका अर्थ है 
सोमवार व रविवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर आती हैं।

शनिवार तथा मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है।

गुरुवार अथवा शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं।

बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।

देवी दुर्गा का आगमन अश्‍व पर देवी दुर्गा का प्रस्थान चरणायुध पर
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इस वर्ष माता घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। घोड़ा युद्ध का प्रतीक माना जाता है। 
घोड़े पर माता का आगमन शासन और सत्ता के लिए अशुभ माना गया है। इससे सरकार को विरोध का सामना करना पड़ता है और सत्ता परिवर्तन का योग बनता है। इस साल भी माता इसी वाहन पर आईं है जिसका परिणाम है कि पूरे साल देश की राजनीति में उथल-पुथल मची रहेगी देश को कई विकट स्थितियों का सामना करना पडेगा देश के कई भागों में प्राकृतिक आपदा के कारण जान-माल का नुकसान होगा ।
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कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है। घट स्थापना का मुहूर्त

16 वर्ष बाद फिर नवरात्र में विशेष संयोग बन रहा है। दूज तिथि लगातार दो दिन होने के कारण शारदीय नवरात्र नौ की जगह 10 दिन की होगी। नवरात्र के बाद 11वें दिन दशहरा मनाया जाएगा। पंडित भुबनेश्वर का कहना है कि तिथियों के क्षय होने एवं बढऩे के कारण यह बदलाव आता है।  पंडित जी के मुताबिक पितृपक्ष में पंचमी और षष्ठी तिथि एक साथ होने के कारण एक दिन की कमी आई है। वहीं नवरात्र में दूज तिथि लगातार दो दिन होने के कारण नवमी तिथि 10वें दिन पड़ेगी तो दशहरा चल समारोह 11वें दिन निकाला जाएगा।
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=====अत: यह नवरात्र घट स्थापना ======
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प्रतिपदा तिथि को 1 अक्टूबर, शनिवार के दिन की जाएगी. इस दिन सूर्योदय से प्रतिपदा तिथि, हस्त नक्षत्र, ब्रह्म योग होगा, सूर्य और चन्द्रमा कन्या राशि में होंगे. आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत हो कर संकल्प किया जाता है. व्रत का संकल्प लेने के पश्चात ब्राह्मण द्वारा या स्वयं ही मिटटी की वेदी बनाकर जौ बौया जाता है. इसी वेदी पर घट स्थापित किया जाता है. घट के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन किया जाता है. तथा "दुर्गा सप्तशती" का पाठ किया जाता है. पाठ पूजन के समय दीप अखंड जलता रहना चाहिए.।-------

घटस्थपना महुर्त = 06:16 से 07:25 समय

अबधि = 1 घण्टा 9 मिनिट 

अथवा कन्या लग्न

प्रतिपदा आरम्भ=  am05:41  1/Oct/2016

प्रतिपदा समामप्त  = 07:45 on 2/Oct/2016

कलश स्थापना और पूजा का समय भारतीय शास्त्रानुसार नवरात्रि पूजन तथा कलशस्थापना आश्विन शुक्ल प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के पश्चात १० घड़ी तक

अथवा अभिजीत मुहूर्त में करना चाहिए। कलश स्थापना के साथ ही नवरात्र प्रारम्भ हो जाता है।

यदि प्रतिपदा के दिन चित्रा नक्षत्र हो तथा वैधृति योग हो तो वह दिन दूषित होता है।

इस बार 1 अक्टूबर 2016 को प्रतिपदा के दिन न हीं चित्रा नक्षत्र है तथा न हीं वैधृति योग है

परन्तु शास्त्र यह भी कहता है की यदि प्रतिपदा के दिन ऐसी स्थिति बन रही हो तो उसका परवाह न करते हुए अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना तथा नवरात्र पूजन कर लेना चाहिए।

निर्णयसिन्धु के अनुसार

— सम्पूर्णप्रतिपद्येव चित्रायुक्तायदा भवेत। वैधृत्यावापियुक्तास्यात्तदामध्यदिनेरावौ।।

अभिजितमुहुर्त्त यत्तत्र स्थापनमिष्यते।

अर्थात अभिजीत मुहूर्त में ही कलश स्थापना करना चाहिए।

भारतीय ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार नवरात्रि पूजन द्विस्वभाव लग्न में करना श्रेष्ठ होता है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार

मिथुन, 
कन्या,
धनु 
तथा कुम्भ राशि द्विस्वभाव राशि है।
अतः हमें इसी लग्न में पूजा प्रारम्भ करनी चाहिए।
1 अक्टूबर 2016 प्रतिपदा के दिन हस्त नक्षत्र और ब्रह्म योग होने के कारण सूर्योदय के बाद तथा अभिजीत मुहूर्त में घट/कलश स्थापना करना चाहिए।

प्रथम(प्रतिपदा) नवरात्र हेतु पंचांग विचार

दिन(वार) – शनिवार
तिथि – प्रतिपदा 
नक्षत्र – हस्त
योग – ब्रह्म
करण – किंस्तुघ्न
पक्ष – शुकल
मास – आश्विन
लग्न – धनु (द्विस्वभाव) लग्न समय – 11:33 से 13:37 
मुहूर्त – अभिजीत मुहूर्त समय – 11:46 से 12:34 तक
राहु काल – 9:12 से 10:41 तक 
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विक्रम संवत – 2073 इस वर्ष अभिजीत मुहूर्त (11:46 से12:34) जो ज्योतिष शास्त्र में स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया धनु लग्न में पड़ रहा है
[27/09 10:29 am] P ss: 🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿
अहंकार की कथा .....!

श्रीकृष्ण भगवान द्वारका में रानी
सत्यभामा के साथ सिंहासन पर विराजमान थे, निकट
ही गरुड़ और
सुदर्शन चक्र भी बैठे हुए थे। तीनों के चेहरे पर
दिव्य
तेज
झलक रहा था।
बातों ही बातों में रानी सत्यभामा ने
श्रीकृष्ण से
पूछा कि हे प्रभु, आपने त्रेता युग में राम के रूप
में
अवतार
लिया था, सीता आपकी पत्नी थीं।
क्या वे मुझसे
भी ज्यादा सुंदर थीं?

द्वारकाधीश समझ
गए
कि सत्यभामा को अपने रूप का अभिमान
हो गया है।
तभी गरुड़ ने कहा कि भगवान क्या दुनिया
में मुझसे
भी ज्यादा तेज गति से कोई उड़ सकता है।
इधर
सुदर्शन
चक्र से भी रहा नहीं गया और वह भी कह उठे
कि भगवान, मैंने बड़े-बड़े युद्धों में
आपको विजयश्री दिलवाई है। क्या
संसार में मुझसे
भी शक्तिशाली कोई है?
भगवान मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। वे जान रहे थे
कि उनके इन
तीनों भक्तों को अहंकार हो गया है और
इनका अहंकार नष्ट होने का समय आ गया है।
ऐसा सोचकर उन्होंने गरुड़ से कहा कि हे
गरुड़! तुम
हनुमान के पास जाओ और कहना कि भगवान
राम,
माता सीता के साथ उनकी प्रतीक्षा कर
रहे हैं। गरुड़
भगवान की आज्ञा लेकर हनुमान को लाने
चले गए।
इधर श्रीकृष्ण ने सत्यभामा से कहा कि
देवी आप
सीता के रूप में तैयार हो जाएं और स्वयं
द्वारकाधीश
ने राम का रूप धारण कर लिया। मधुसूदन ने
सुदर्शन
चक्र
को आज्ञा देते हुए कहा कि तुम महल के प्रवेश
द्वार
पर
पहरा दो। और ध्यान रहे कि मेरी आज्ञा के
बिना महल में कोई प्रवेश न करे।
भगवान की आज्ञा पाकर चक्र महल के प्रवेश
द्वार
पर
तैनात हो गए। गरुड़ ने हनुमान के पास पहुंच कर
कहा कि हे वानरश्रेष्ठ! भगवान राम माता
सीता के
साथ द्वारका में आपसे मिलने के लिए
प्रतीक्षा कर
रहे हैं। आप मेरे साथ चलें। मैं आपको अपनी
पीठ पर
बैठाकर शीघ्र ही वहां ले जाऊंगा। हनुमान
ने
विनयपूर्वक गरुड़ से कहा, आप चलिए, मैं आता
हूं।
गरुड़ ने
सोचा, पता नहीं यह बूढ़ा वानर कब
पहुंचेगा। खैर मैं
भगवान के पास चलता हूं। यह सोचकर गरुड़
शीघ्रता से
द्वारका की ओर उड़े। पर यह क्या, महल में
पहुंचकर
गरुड़
देखते हैं कि हनुमान तो उनसे पहले ही महल में
प्रभु
के
सामने बैठे हैं। गरुड़ का सिर लज्जा से झुक
गया।
तभी श्रीराम ने हनुमान से कहा कि पवन
पुत्र तुम
बिना आज्ञा के महल में कैसे प्रवेश कर गए?
क्या तुम्हें
किसी ने प्रवेश द्वार पर रोका नहीं?
हनुमान ने हाथ
जोड़ते हुए सिर झुका कर अपने मुंह से सुदर्शन
चक्र
को निकाल कर प्रभु के सामने रख दिया।
हनुमान ने
कहा कि प्रभु आपसे मिलने से मुझे इस चक्र ने
रोका था, इसलिए इसे मुंह में रख मैं आपसे
मिलने आ
गया। मुझे क्षमा करें। भगवान मंद-मंद
मुस्कुराने लगे।
हनुमान ने हाथ जोड़ते हुए श्रीराम से प्रश्न
किया हे
प्रभु! आज आपने माता सीता के स्थान पर
किस
दासी को इतना सम्मान दे दिया कि वह
आपके साथ
सिंहासन पर विराजमान है।
अब रानी सत्यभामा के अहंकार भंग होने
की बारी थी। उन्हें सुंदरता का अहंकार
था,
जो पलभर में चूर हो गया था। रानी
सत्यभामा,
सुदर्शन चक्र व गरुड़ तीनों का गर्व चूर-चूर
हो गया था।
वे भगवान की लीला समझ रहे थे। तीनों
की आंख से
आंसू बहने लगे और वे भगवान के चरणों में झुक गए।

अद्भुत लीला है प्रभु की।

हे मेरे परम-स्नेही मित्रो ..जब इन तीनो का अहंकार चूर चूर हो गया तो इन तीनो के सामने हम अपने आपको किस जगह पाते है ?

विचार करना ...!!

मधुर प्रभात
जय श्री राधे, जय श्री कृष्ण ...!!!
🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿🌸🌿
[27/09 11:10 am] पं. मंगलेश्वर त्रिपाठी: अङ्गुल्योविंशतिः सूर्य शंकुः सोमे च षोडशः।
कुजे पञ्चदशाङ्गुल्यो बुधवारे चतुर्दशः।।”
“त्रयोदशं गुरोर्वारे द्वादशार्कज शुक्रयोः।
शंकुमूले यदा छाया मध्यान्हे च प्रजायते।।
“तदाचाsभित्तिदाख्याता घटिकैका स्मृता बुधैः।
अत्र कर्माणि सिद्धिं यान्ति कृतानि च।।
“जातोsभिजिति राजा स्याद् व्यापारे सिद्धिरुत्तमा।
कुलीनेsपि मुहूर्तोsयं सर्वमंगलदायकः।।
– वृहद् ज्योतिष सार संग्रह – ४/५४
रविवार को २०अंगुल, सोमवार को १६ अंगुल, मंगलवार को १५ अंगुल, बुधवार को १४अंगुल, गुरूवार को १३ अंगुल, शुक्रवार को १२अंगुल और शनिवार को भी १२ अंगुल लम्बाई वाला खूँटी स्थापित अथवा खड़ा करें। जिस समय उस खूँटी के ठीक जड़ में खूँटी की छाया का सिरा भाग बिल्कुल लगा हुआ हो, उस समय को अभिजित मुहूर्त्त मानना चाहिए। इस मुहूर्त्त में प्रारंभ किये गये सकल कार्य पूर्ण सिद्ध होते हैं तथा इस मुहू र्त में जन्म लेने वाला जातक राजा होता है।

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