Wednesday, November 11, 2015

|| कुलं पवित्रं जननी कृतार्था बशुन्धरा पुण्यवती च तेन ||


     

" कुलं पवित्रं जननी कृतार्था बशुन्धरा पुण्यवती च तेन।
स्वर्गस्थित ये पितरोऽपि धन्यः एषां गृहे वैष्णव नाम ध्येयम्।।
जिस कुल मे भक्त जन्म लेता है, वह कुल धन्य हो जाता है, माता - पिता धन्य हो जाते हैं, स्वर्गस्थ पितर भी धन्य धन्य हो जाते हैं, उन्हें भरोसा हो जाता है कि मेरे कुल में उत्पन्न यह वैष्णव मेरा त्राता होगा।
सचमुच भगवदभक्त कुल का त्राता होता है , तारने वाला होता है । " त्रिसप्तभिः पितरः पूता।" इक्कीस इक्कीस पीढियां तर जाती है ।

पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830  

4 comments:

  1. यह श्लोक किस शास्त्र में लिखा है?

    ReplyDelete
    Replies
    1. Yah shlok is Shastra mein likha hai

      Delete
  2. YE SHLOK KONASE SHASTRA ME LIKHA HAI SWAMI

    ReplyDelete