आह्निक सूत्रावली--:में ढाक, फल्गु, वट, पीपल, विकंकत, गूलर, चन्दन, सरल, देवदारू, शाल, खैर का विधान है। वायु पुराण में ढाक, काकप्रिय, बड़, पिलखन, पीपल, विकंकत, गूलर, बेल, चन्दन, पीतदारू, शाल, खैर को यज्ञ के लिए उपयोगी माना गया है। दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश में यज्ञ के लिए पलाश, शमी, पीपल, बड़, गूलर, आम व विल्व को उपयोगी बताया है। उन्होंने चन्दन, पलाश और आम की लकड़ी को तो यज्ञ के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया है।
–जय श्रीमन्नारायण |
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