स पुमानर्थवज्जन्मा यस्य नाम्नि पुरस्थिते।
नान्याड़्गुलि समभ्येति संख्याया मुद्यताड़्गुलि :।
पुमान् पुरुष वह है जिसमें पुरुषार्थ का अंकुर हो; सार्थक जन्म वही पुरुष है कि जिसके पौरुषेय गुणों की गणना में जो अँगुली उसके नाम पर उठे वही फिर दूसरे के नाम पर नहीं-अर्थात जो किसी प्रकार के गुण में एकता प्राप्त्ा किए हैं संसार में उसके बराबरी का दूसरा मनुष्य न हो। इस तरह की बहुतेरी कवियों की कल्पनाएँ पाई जाती हैं किंतु यहाँ इन कल्पनाओं से हमारा प्रयोजन नहीं है जिसे हम जीवन की सार्थकता कहेंगे वह बात ही निराली है |🌹🙏🌹
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