Saturday, October 31, 2015

🌷🌹कितना लाभकारी है गोमूत्र-🌷🌹🌷🌹🌷--"गव्यं समधुरं किंचिद् दोषघ्नम क्रिमि कुष्ठनुत्| कंडूच शमयेत् पीतं सम्यग्दोषोदरे हितम||" - चरक सूत्राणि अध्याय १ श्लोक १०२
"गोमूत्रं कटु तीक्षणोष्णम् सक्षारत्वं वातलम्| लघ्वग्नि दीपनं मेध्यम् पित्तलम् वातनुत्||
शूलगुल्मोदरानाहविरेकास्थापनादिषु| मूत्रप्रयोगसाध्येषु गव्यं मूत्रं प्रोजयेत्||  "                 - सुश्रुत सूत्र मूत्र वर्ग
पर्यायवाची शब्द-
स्त्रवण, सुरभि जल, गोजल, गो अम्भा, गोद्रव, गोपानिज, मेहन, मूत्र, गोझार
गुणधर्म
गुण - तीक्ष्ण
रस - कटु, तिक्त, कषाय
विपाक - कटु
वीर्य - ऊष्ण
दोषघ्नात - कफ एवं वातशामक, पित्तवर्द्धक
गोमूत्र कसैला, कड़वा तथा तीखा होता है स्वाद में| यह आसानी से पचनेवाला, क्षयकारक तथा प्रकृति में गर्म होता है| यह भूख बढ़ाने वाला, भोजन पचाने वाला, कब्ज तोड़ने वाला, पित्त को बढ़ाने वाला, बुद्धि बढ़ाने वाला, बहुत ही कम मृदु होता है| यह कफ-वात को कम करने वाला, त्वचा रोग, गुल्म, खून की कमी, श्वेत प्रदर, दर्द, बवासीर, अस्थमा, सामान्य बुखार, बलगम, आँख मुँह के रोगों, स्त्रियों में डायरिया में परम लाभकारी है| इन सबके अतिरिक्त गोमूत्र के कई अन्य लाभ होते हैं|
लक्षण -
सभी जीवों में देशी गाय का मूत्र सर्वोत्तम होता है! यह न केवल भूख बढ़ाकर पाचन सुदृढ़ करता है बल्कि त्वचा विकारों में भी विशेष लाभकारी है|
गोमूत्र का निम्नलिखित रोगों में विशेष प्रयोग होता है:
गुर्दों की बीमारी
कुष्ठ रोग
श्वेत प्रदर
त्वचा रोग
कफ बलगम
बवासीर
खून की कमी
पीलिया
मुँह के छालों
मूत्राशय सम्बन्धी
अस्थमा, फेफड़ों से सम्बंधित रोगों में
कान के रोगों में
🌹🌷प्रेम से बोलिये गऊ माता की जय🌷🌹

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