दीवानी निर्झर बहे
तटिनी तोड़े तटबंध
वर्षा के अनुराग में
छिन्न भिन्न सब अनुबंध
पत्र पत्र मोती झरे
भूतल सर्वत्र जलन्ध
हरीतिमा का सागर
अनुपमेय प्रकृति प्रबंध..
धान्य गर्भ हीरक भरे
अभिसारित हर्ष सुगंध
प्रेम स्थापित धरा करे
मातृ - पुत्रक संबंध॥
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
No comments:
Post a Comment