Thursday, October 15, 2015

|| कलश (घट) स्थापित करना हमारी संस्कृति का एक अभिन्न भाग है ||


     
कोई भी शुभ कार्य करते समय कलश (घट) स्थापित करना हमारी संस्कृति का एक अभिन्न भाग है। फिर चाहे वह शुभ कार्य शादी विवाह हो या भगवान की पूजा। कलश धातु के बर्तन का या मिट्टी के बर्तन का हो सकता है, लेकिन हर कलश के ऊपर एक कच्चा नारियल जरुर होता है जो लाल रंग के कपड़े में लिपटा होता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि कलश के ऊपर नारियल क्यों रखा जाता है और नारियल रखने का क्या फायदा या नुकसान है। नुकसान की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि कलश पर रखा नारियल कई बार एक छोटी सी गलती से आपके लिए धन, स्वास्थ्य की हानि के साथ दुःख का कारण भी हो सकता है।
शास्त्रों में कलश पर नारियल रखने के विषय में बताया गया है कि “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय, ऊर्धवस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय, तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीलेलंष्।” यानी कलश पर नारियल रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुख नीचे की तरफ नहीं हो।नारियल का मुख नीचे होने से शत्रुओं की वृद्घि होती है। नारियल खड़ा करके रखते हैं और उसका मुंह ऊपर की ओर होता है तब रोग बढ़ता है, यानी घर में रहने वाले लोग अधिक बीमार होते हैं।
कलश पर नारियल रखते समय अगर नारियल का मुख पूर्व दिशा की ओर होता है तो आर्थिक हानि होती है यानी धन की हानि के योग बनते रहते, लेकिन कलश स्थापन का यह उद्देश्य तभी सफल होता है जब कलश पर रखा हुआ नारियल का मुख पूजन करने वाले व्यक्ति की ओर हो।

पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830  

5 comments:

  1. नारियल का मुख पूर्व दिशा मै हो तो आर्थिक हानी होती है,ये बात तभी लागू होगी जब यजमान पूर्वाभिमुख हो।
    अब परिस्थितिजन्य यजमान पश्चिमाभिमुख बैठा हो तब क्या होगा?

    नारियल का मुग यजमान की ओर रखते हैं तब नारियल का मुख पूर्व की ओर होगा।
    इसी प्रकार उत्तराभिमुख बैठने पर नारियल दक्षिणाभिमुख होगा।
    सभी परिस्थितियों का वर्णन कर निर्णय बतायें?

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  2. आचार्य जी सादर प्रणाम... कृपा करें बतावें की उपरोक्त श्लोक किस 'शास्त्र' में लिखा है ?

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  3. आचार्य जी सादर प्रणाम... कृपा करें बतावें की उपरोक्त श्लोक किस 'शास्त्र' में लिखा है ?

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  4. नारियल का मुख साधक की ओर रहेगा फिर यजमान किधर भी बैठा हो।

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  5. आप एक बार निर्णय सिंधु में देखिए। उसमें आपको इसका प्रमाण मिल जाएगा। मुझे पृष्ठ क्रमांक तथा श्लोक क्रमांक तो स्मरण नहीं रहा है, किंतु इतना ज्ञात है कि यह श्लोक उसी ग्रंथ से उद्धृत है।

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