Saturday, October 31, 2015

[31/10 2:35 AM] Pandit Mangleshwar Tripadhi: अंजना के प्रश्न पर निष्कर्ष मिले बिना भीष्म प्रकरण को रोके रहना चाहिए था। सभी ध्यान दें कि विषय रुद्ध न हो। पहले पिछले पोस्ट को जानें, फिर अपनी कहें।
इससे किसी को अपमान नहीं लगेगा।
[31/10 2:35 AM] Pandit Mangleshwar Tripadhi: आकस्मिक बाधाएं व उनके उपाय :

        समय खराब हो तो बाधाएं खुद ब खुद आने लगती हैं और परेशानियां खड़ी हो जाती हैं, जैसे - घर में अचानक बीमारियाँ, नुक्सान, आग लगना, चोट-चपेट, खर्च का अनावश्यक और अचानक बढ़ना, व्यवसाय में घाटे,नौकरों से परेशानी.उधारी का न मिलना.चोरी.सेल  व इन्कम टैक्स की परेशानी अथवा बेवजह अगल-बगल की दुकानदारों से झगड़े, इत्यादि।
इन परिस्थितियों को गोचर से जाना जा सकता है। लेकिन जिनकी कुण्डली ही नहीं है तो दोनों के  लिए एक बुजुर्ग वृद्ध से प्राप्त इस टोटके के करने से बाधाएं कुछ या फिर सारी कष्टों से मुक्ति मिलती है और लाभ होता है।
अपने घर के पास जो भी पेड़ हो, सोमवार के दिन उसकी जड़ में शाम को दूध डालकर एक अगरबत्ती (धूपबत्ती नहीं) जलाएं।
यह प्रयोग कम से कम 4-5 सोमवार के  दिन करें। इससे कोई नुक्सान नहीं है, लेकिन राहत जरुर मिलेगी।
[31/10 2:35 AM] Pandit Mangleshwar Tripadhi: शास्त्रानुसार हनुमानजी की माता का नाम अंजना था । जो अपने पूर्व जन्म में एक अप्सरा थीं । अंजना ब्रह्मा लोक की एक अप्‍सरा थी, उन्हें एक ऋषि ने बंदरिया बनने का श्राप दिया था । श्राप अनुसार जिस दिन अंजना को किसी से प्रेम हो जाएगा, उसी क्षण वह बंदरिया बन जाएगी तथा उनका पुत्र लेकिन उसका पुत्र भगवान शिव का रूप होगा । अंजना अपनी अपनी युवा अवस्था में केसरी से प्रेम करने लगी । जिससे वह वानर बन गई तथा उनका विवाह वानर राज केसरी से हुआ।
[31/10 2:35 AM] Pandit Mangleshwar Tripadhi: यह पहले इन्द्र की सभा में पुंजिकस्थली नाम की अप्सरा थी। एक बार जब दुर्वासा ऋषि भी इन्द्र की सभा में उपस्थित थे, तो वह बार-बार भीतर आ-जा रही थी। इससे रुष्ट होकर ऋषि ने उसे वानरी हो जाने का शाप दे डाला। जब उसने बहुत अनुनय-विनय की, तो उसे इच्छानुसार रूप धारण करने का वर मिल गया। इसके बाद गिरज नामक वानर की पत्नी के गर्भ से इसका जन्म हुआ और अंजना नाम पड़ा। केसरी नाम के वानर से इनका विवाह हुआ और उनके गर्भ से हनुमान का जन्म हुआ।

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