हरिः ॐ तत्सत्! सुप्रभातम्।
सर्वेभ्यो नमो नमः।
सच्चर्चा
यदि आप किसी सत्पात्र के लिए कुछ उत्तम बोलते या लिखते हैं, तो परोक्ष में आप की ही गरिमा मण्डित हो रही है। दार्शनिक धरातल पर यदि इस भाव की मीमांसा की जाय, तो मीमांसित तत्व मे आपके ही सद्गुण ही मुखरित होगें।
"निज गुन श्रवन सुनत सकुचाहीं।
पर गुन सुनत अधिक हरषाहीं।
"यतोहि सत्पुरुषा एव सत्पुरुषाणां गुणगानं कुर्वन्ति अतः मम विचारेण सर्वे सज्जनाः भक्ताः विद्वासंश्च समादरणीयाः सन्तीति मे मतिः।"
नारायण! नारायण! नारायण!
सच्चर्चा
यदि आप किसी सत्पात्र के लिए कुछ उत्तम बोलते या लिखते हैं, तो परोक्ष में आप की ही गरिमा मण्डित हो रही है। दार्शनिक धरातल पर यदि इस भाव की मीमांसा की जाय, तो मीमांसित तत्व मे आपके ही सद्गुण ही मुखरित होगें।
"निज गुन श्रवन सुनत सकुचाहीं।
पर गुन सुनत अधिक हरषाहीं।
"यतोहि सत्पुरुषा एव सत्पुरुषाणां गुणगानं कुर्वन्ति अतः मम विचारेण सर्वे सज्जनाः भक्ताः विद्वासंश्च समादरणीयाः सन्तीति मे मतिः।"
नारायण! नारायण! नारायण!
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
No comments:
Post a Comment