Thursday, October 22, 2015

सर्वेभ्यो भूदेवेभ्यो नमो नमः🌹👏सुप्रभातम्🌻
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हम अवलोकन करें मनोहर छवि आवरण हटा दो,
सदृश चांदनी ,स्वच्छ शिखर तक ,मलय सुगंध बहा दो । 

लेकर हुए उपस्थिति हम सब ,नव जीवन का नवल प्रभात ,
जन-मानस के अभिनन्दन को ,देने खुशियों की सौगात ,
तिमिर पंथ है कण-कण में ,चहुँदिश आलोक बिछा दो ॥

हम अवलोकन करें मनोहर छवि आवरण हटा दो,
सदृश चांदनी ,स्वच्छ शिखर तक ,मलय सुगंध बहा दो । 

सहज दृष्टि ,प्रेमळ प्रलेप से,उपचारित हों घाव ह्रदय के ,
अधर-अधीर ,छुअत ज्यों चन्दन ,स्पंदित हो भाव प्रणय के,
ऋतम्भरा मनुहार 'इंदु'का ,अमृत बून्द पिला दो ॥ 

हम अवलोकन करें मनोहर छवि आवरण हटा दो,
सदृश चांदनी ,स्वच्छ शिखर तक ,मलय सुगंद बहा दो । 

अंकित कर दो समय पटल पर ,परिणय की मंगलमय बेला,
सहज प्रकट हो जहाँ युगों से ,नवयुग के परिचय की क्रीडा ,
बन विराट विश्वास,विश्व्पथ आया है ,अगणित पुष्प बिछा दो ॥

हम अवलोकन करें मनोहर छवि आवरण हटा दो,
सदृश चांदनी ,स्वच्छ शिखर तक ,मलय सुगंद बहा दो । 

विकसित हो सत् ,सहस्त्र कमल-दल ,शीतल स्वच्छ सरोवर ,
अरुण उदय का दृश्य रश्मि-रथ ,हो उषा का पुष्प कलेवर 
करे सृष्टि हित-चिंतन ,सब मिल ,परमित 'अनुराग'बढ़ा दो ॥

हम अवलोकन करें मनोहर छवि आवरण हटा दो,
सदृश चांदनी ,स्वच्छ शिखर तक ,मलय सुगंध बहा दो । 
🙏😊🙏

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