Wednesday, October 28, 2015

सुखाय दुःख मोक्षाय संकल्प इह कर्मिणः। सदाप्रोतीहया दुःखमनीहायाः सुखावृतः।। कर्म मे प्रवृत्त हो के दो ही उद्देश्य होते हैं सुख पाना और दुख से छूटना। परन्तु जो पहले कामना न रहने के कारण सुख मे मग्न रहता था उसको ही अब कामना के कारण यहा सदा ही दुख भोगना पडता है।

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