Friday, April 29, 2016

!! उपनिषदों के रचयिता !!

SKMishra.shoaqh: उपनिषद् ऋषियों की पाठ्य पुस्तकें हैं। जितने ऋषि, उतने उपनिषद्। यह पीएचडी के पेपर हैं। वेदों के आधार पर इनका विषय विभाजित है। अभी १००८ हैं। पहले हजारों थीं। १०८ उपनिषद् तो मेरे पास है। साढ़े तीन सौ के नाम पा चुका हूँ। इसके लेखक नहीं होते। यह दर्शन है, इसके प्रणेता होते हैं।
        वेदों, ब्राह्मणों और आरण्यकों के प्रणेता मन्त्रद्रष्टा ऋषियों की अपनी-अपनी शिष्य-परम्परा में अधिकृत शिष्यर्षियों द्वारा भाष्य-रूप में जो भी शिक्षाएँ प्रदान की गईं, उन्हे ही गोप्य-प्रकाशत्त्व-गुण के कारण 'उपनिषद्' कहा गया है। उन्हे ही श्रुति-परम्परा से आगे चलने के कारण 'श्रुति' भी कहा जाता है। अतः श्रुति का तात्पर्य केवल 'उपनिषद्' से किया जाता है, वेदों से नहीं। मन्त्रर्षियों की अधि-संख्या के कारण, उपनिषद् की भी संख्या सहस्रों (असंख्य) में है। यही लाभ देख कर प्रक्षिप्त साहित्य जगत् में यह संख्या लाख में पहुँची हो तो कोई आश्चर्य भी नहीं है। इसीप्रकार की समस्या, संहिताओं की संख्या में भी है।

        प्राप्त उपनिषद् की सूची वर्गीकृत कर रहा हूँ। पूर्ण होते ही भेजता हूँ।

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