Sunday, April 10, 2016

कमाल है !!
आँखे तालाब नहीं, फिर भी, भर आती है!
दुश्मनी बीज नही, फिरभी,बोयी जाती है!
होठ कपड़ा नही, फिर भी, सिल जाते है!
किस्मत सखी नहीं, फिर भी,रुठ जाती है!
बुद्वि लोहा नही, फिर भी, जंग लग  जाती है!
आत्मसम्मान शरीर नहीं, फिर भी, घायल हो जाता है! और,
इन्सान मौसम नही, फिर भी, बदल जाता है!
मकान जले तो बीमा ले सकते हैं
सपने जले तो क्या किया जाए
आसमान बरसे तो छाता ले सकते हैं
आँख बरसे तो क्या किया जाए
शेर दहाड़े तो भाग सकते हैं
अहंकार दहाड़े तो क्या किया जाए
काँटा छुभे तो निकाल सकते हैं
कोई बात छुभे तो क्या किया जाए
दर्द हो तो गोली(medicine)ले सकते हैं
वेदना हो तो क्या किया जाये
एक अच्छा मित्र एक दवा जैसा ही होता है
पर एक अच्छा ग्रुप पूरा मेडिकल स्टोर होता है।

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