विश्व की अमूल्य निधि की ये 6 बातें जो किसी रहस्य से कम नहीं
मनुस्मृति वह धर्मशास्त्र है जिसकी मान्यता जग-विख्यात है। इसके प्रमाणों के आधार पर न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी निर्णय लिए जाते थे और आज भी होते हैं। अतः धर्मशास्त्र के रूप में मनुस्मृति को विश्व की अमूल्य निधि माना जाता है।
मनुस्मृति में ऐसी कई बातों का उल्लेख है। जिन्हें मनुष्य को जानना बेहद जरूरी है। उन्हीं में से कुछ इस तरह हैं।
1. जो मनुष्य अपने कुल को आगे बढ़ाना चाहता है। उसे हमेशा अच्छे लोगों से तालमेल रखना चाहिए।
2. विष से भी अमृत ग्रहण करना चाहिए कहने का आशय है कि खराब लोगों में कोई न कोई अच्छाई जरूर होती है उसे अपनाएं।
3. मानव को चाहिए कि वह बिना बुलाए किसी सभा या पंचायत में न जाए और यदि जाना ही पड़ जाए तो वहां सत्य ही बोले।
4. चाहे कन्या मृत्यु तक बिना विवाह के रहे, परंतु उसका विवाह गुणहीन, दुष्ट पुरुष के साथ कभी नहीं करना चाहिए।
5. अदण्डनीय को दण्ड देना और दण्डनीय को क्षमा कर देना दोनों बराबर के अधर्म हैं।
6 . जब राजा राजकाज की उपेक्षा करता है वह कलियुग होता है। जब वह साधारण रूप से कामकाज करता है तब द्वापर कहलता है। जब राजा प्रजा के हित में लगा रहता है तब त्रेतायुग कहलाता है और जब राजा सभी कार्यों के लिए हमेशा तत्पर रहता है और प्रजा के सभी सुख-दुःख में सम्मिलत होता है। सतयुग कहलाता है। राजा ही युग बनाता है इसलिए अपना राजा या मंत्री सोच समझकर चुनना चाहिए।
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