Saturday, April 9, 2016

🌹🌹🌹🌹प्यारे प्रिया- प्रियतम 🌹🌹🌹🌹एक बार की बात है, भगवान की परम प्रेयसी श्री राधारानी से प्यारे श्याम सुंदर से कहा की:::    "प्यारे श्याम सुंदर जी!मैंने सुना है की आप बडा अच्छा नृत्य करते है? भगवान मुस्कुराये बोले हाँ प्यारी जू, आप ने ठीक ही सुना है.......राधाजी ने भगवान से प्राथना की और कहा श्यामसुंदर '''क्या आप मुझे नृत्य सिखायेगें भगवान बोले अवश्य........''''श्री-राधामाधव हाथ से हाथ पकड कर नृत्य करने लगे तभी प्यारे श्यामसुंदर ने राधाजी की हाथ की मुंदरी उतार ली ''''''''......और नृत्य के बाद श्याम को दिल मे बिठाकर श्यामा जु अपने महल आ गयी तभी ललिता सखी ने पूछा श्यामा जू आपकी मुंदरी कहा है राधाजी संशय मे पड गयी और कहने लगी कि मै बन मे नृत्य सीख रही थी प्यारे मोहन के साथ वही कही गिर गयी होगी तब दूसरी सखी बोली गिरी नही श्याम ने चुराली होगी वो बडा चोर है  राधा जी ने डाँटते हुए कहा एसा नही है वो मेरी किसी भी बस्तु को नही चुरा सकते तब एक सखी ने कहा यदी ऐसा है तो परीक्षण लिया जाये........लाडली जु मान गयीं फिर एक गोपी भगवान के पास गयी और कहा:::अरे श्याम श्री राधारानी की मुंदरी चुराने वाले!😡हमारी राधारानी की मुंदरी लौटा दो.......भगवान बोले तुम्हे और कोइ काम नही है क्या हमेशा मुझ पे झूटा आरोप लगाती रहती हो मेरे पास कोइ मुंदरी नही है...गोपी द्वारा भगवान को श्री राध जी के पास ले जाया जाता है...राधा के पूछने पर भी भगवान यही कहते है ''कि मेरे पास आपकी मुंदरी नही है ''''तब एक गोपी जबरदस्ती मोहन की तलास लेती है और भगवन्न की काली काँवर मे छुपी मुदरी निकाल के श्रीराधा को दे देती है ''''''श्री राधाजी को मन ही मन श्यामसुंदर पे बहुत प्यार आता है ''''''गोपिकायें खरा-खोटा सुनाकर भगवान को  बडे प्रेम से  विदा करती है....गोपियां अब श्री श्याम जू को दण्ड देने के लिये श्यामा जू से विनती करती है की आप भी श्याम के आभूषणो को चुरा लीजीये......तब-सभी सभी मिलकर सोते हुए श्याम सुंदर जी की वंशी और मोर पंख काली-काँवरी र्पीला दुपट्टा चुरा लेती है.....जब भगवान जागते है तो समझ जाते है कि ये सब राधारानी का इया हुआ है तब प्यारे श्याम सुंदर एक बृज गोपी का वेष बनाकर बरसाने जाते है और राधाजी के द्वार पे जाकर कर '''हे कृष्ण हे कृष्ण दर्सन दो रोते हुए कहती है '''''जब ये ध्वनि श्रीकृष्ण की परम प्रेयसी श्री राधा जी के कर्णकमलों तक पहुंचती है तब वे उस छद्म वेष धारिणी विरहणी को समझातीं है किंतु  कृष्ण के प्रेम मे पागल वह गोपी मानती नही तब श्रीकृष्णप्रियाराधाजी श्री कृष्ण के आभूषणों को धारण कर गोपीरूप धारी कृष्ण को ह्रदय से लगा लेती है और कहती है '''गोपी अब रो मत मै आ गया हूँ ''''🌹💐🌹कुछ देर बाद भागवान मुस्कुराके कहते है '''राधे मेरे आभूषणों मे आप बहुत प्यारी लग रही हो तब श्री राधा शर्मा के कहतीं हैं '''श्याम बडे छलिया हो आप '''''🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹💐💐💐💐💐💐ऐसे श्री प्रिया-प्रियतम आप पर सदा कृपा करें ll    रोहित पाराशर.............☺💐🌹🙏🏻

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