Saturday, April 9, 2016

नारी को फैशन में ढील देने के पीछे पुरुष की ही दुष्प्रवृत्तियाँ ही संचालक हैं। यह विदेशी आगन्तुक है, जो अपनी  वर्णात्मक भव्यता के लोक-आकर्षण के कारण अतिथि बना, अंगीकृत होकर अभ्यागत बना और अब परिवार का सदस्य बनकर हमें वर्ण-दूषित कर रहा है।

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