Friday, April 29, 2016

!! प्रारब्ध और पुनर्जन्म !!

        पूर्व जन्म के कर्मों से ही हमें इस जन्म में माता- पिता, भाई-बहिन, पति-पत्नि-प्रेमिका, मित्र-शत्रु, सगे-सम्बन्धी, इत्यादि संसार के जितने भी रिश्ते नाते है, सब मिलते है । क्योंकि इन सबको हमें या तो कुछ देना होता है या हमें इनसे कुछ लेना होता है। वैसे ही संतान के रूप में हमारा कोई पूर्व जन्म का सम्बन्धी ही जन्म लेकर आता है । शास्त्रों में चार प्रकार के जन्म को बताया गया है :
1. ऋणानुबन्ध :– पूर्व जन्म का कोई ऐसा जीव जिससे आपने ऋण लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से धन नष्ट किया हो, तो वो आपके घर में संतान बनकर जन्म लेगा और आपका धन बीमारी में, या व्यर्थ के कार्यों में तब तक नष्ट करेगा
जब तक उसका हिसाब पूरा ना हो।
2. शत्रु पुत्र:– पूर्व जन्म का कोई दुश्मन आपसे बदला लेने के लिये आपके घर में संतान बनकर आयेगा, और बड़ा होने पर माता-पिता से मारपीट या झगड़ा करेगा, या उन्हें सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से सताता ही रहेगा।
3. उदासीन:– इस प्रकार की सन्तान माता-पिता को न तो कष्ट देती है और ना ही सुख । विवाह होने पर ऐसी
संतानें माता-पिता से अलग हो जाती है।
4. सेवक पुत्र:– पूर्व जन्म में यदि आपने किसी की खूब सेवा की है तो वह अपनी की हुई सेवा का ऋण उतारने के लिये आपकी सेवा करने के लिये पुत्र बनकर आता है।
        यह सब बाते केवल मनुष्य पर ही नहीं लागू होतीं। इन चार प्रकारों में कोई भी जीव आ सकता है। जैसे आपने किसी गाय की निःस्वार्थ भाव से सेवा की है, तो वह भी पुत्र या पुत्री बनकर आ सकती है। यदि आपने गाय को स्वार्थ वश पाला और उसके दूध देना बन्द करने के पश्चात उसे घर से निकाल दिया हो तो वह ऋणानुबन्ध पुत्र या पुत्री बनकर जन्म लेगी ।
        यदि आपने किसी निरपराध जीव को सताया है तो वह आपके जीवन में शत्रु बनकर आयेगा। इसलिये जीवन में कभी किसी का बुरा नहीं करे। क्योंकि प्रकृति का नियम है कि आप जो भी करोगे उसे वह आपको सौ गुना करके देगी। यदि आपने किसी को एक रूपया दिया है तो समझो आपके खाते में सौ रूपये जमा हो गये हैं। यदि आपने किसी का एक रूपया छीना है तो समझो आपकी जमा राशि से सौ रूपये निकल गये।
        इसलिए मनुष्य-जन्म मिला है तो उसका सदुपयोग करके अपना भविष्य संवार लो, कौन जाने कब आपके सुकर्म आपको जन्म-मरण के चक्रव्यूह से मोक्ष करा दें और कब आपके द्वारा किये गए छोटे से दुष्कर्म भी आपको पुनर्जन्म के चक्रव्यूह में फंसा दें।
        इसलिए हे मनुष्य, अभी भी समय है, जाग जा, संभल जा, संतों की शरण में जा और अपना जीवन सफल बना, न जाने किस घडी जीवन की शाम हो जाये।

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