Saturday, April 9, 2016

गरुड़ व्यूह-:इस व्यूह की रचना द्रोणाचार्य ने की थी।
महाभारत युद्ध के समय कुरूकुल के पितामह शान्तनु कुमार भीष्म ने धृतराष्ट्र पुत्रों को विजय दिलाने की इच्छा से महान 'गरुड़ व्यूह' की रचना की। भीष्म उस व्यूह के अग्रभाग में चोंच के स्थान पर खड़े हुए। आचार्य द्रोण और यदुवंशीकृतवर्मा दोनों नेत्रों के स्थान पर स्थित हुए। यशस्वी वीर अश्वत्थामा और कृपाचार्य शिरोभाग में खड़े हुए। इनके साथ त्रिगर्त, केकय औरवाटधान भी युद्धभूमि में उपस्थित थे। भूरिश्रवा,शल, शल्य और भगदत्त- ये जयद्रथ के साथ ग्रीवाभाग में खडे़ किये गये। इन्हीं के साथ मद्र, सिधु, सौवीर तथा पंचनद देश के योद्धा भी थे। अपने सहोदर भाइयों और अनुचरों के साथ राजा दुर्योधन पृष्टभाग में स्थित हुआ। अवन्ति देश केराजकुमार बिन्द और अनुबिन्द तथा कम्बोज,शक एवं शूरसेन के योद्धा उस महाव्यूह के पुच्छ भाग में खड़े हुए। मगध और कलिंग देश के योद्धा दासेर के गणों के साथ कवच धारण करके व्यूह के दायें पंख के स्थान में स्थित हुए। व्यूह में कारूष, विकुंज, मुण्ड और कुण्डीवृष आदि योद्धा राजा बृहद्बल के साथ बायें पंख के स्थान में खड़े हुए थे।

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