Saturday, April 9, 2016

प्रसन्नता के स्रोत,,,,,,
    

1.जीवन में आने वाली हर परिस्थिति हमे कुछ न कुछ सिखा कर जाती हैं किन्तु जब हम उससे सिखने की बजाए उस परिस्थिति को ही याद करते रहते हैं तो अपने को ही दुःख पहुंचाने का कारण स्वयं बनते हैं।

2.किसी ने हमसे कुछ कहा, हमे हर्ट हुआ लेकिन उसी बात को सोच कर कर हम खुद को और ज्यादा हर्ट करते हैं इसलिए स्वयं को चोट पहुँचाने का जिम्मेवार कोई और नहीं बल्कि हम स्वयं हैं।

3.लेकिन अगर हम सम्बन्धो में स्थिर रह कर,उस बात को भुला कर हम एक दूसरे को पॉजिटिव एनर्जी दें तो फिर कोई भी बात हमे दुखी नहीं कर पायेगी। दूसरी बात जो सबसे महत्वपूर्ण हैं वह हैं वर्तमान में रहना।

🤔4.अगर हम पास्ट में हुई किसी अप्रिय घटना के बारे में सोचते रहते हैं  तो उस घटना की स्मृति भी हमे चोट पहुंचाने का कारण बनती है और अगर हम भविष्य के बारे में सोचते हैं कि क्या होगा तो भी खुश नहीं रह सकते 

🤔5.क्योकि जब हम आने वाले कल /भविष्य के बारे में सोचते हैं तो साथ ही साथ ये भी आशा रखते हैं कि अगर ऐसा होगा तो ही हमे ख़ुशी मिलेगी  और जब आने वाले कल से हमारी वो आशा पूरी नहीं होती तो हम निराश होते हैं और दुखी हो जाते हैं 

6.इस प्रकार अपने मन को हम शर्तों में बांध देते हैं कि जब ये होगा तब हम खुश होंगे। जब हम ऐसा सोचते हैं तो हमारे मन में भी वो प्रोग्रामिंग हो जाती है और हम इन्तजार करते हैं कि ऐसा हो तो मैं खुश रहूँ। लेकिन जब हम वर्तमान में हैं तो खुश हैं क्योकि निर्भरता नहीं हैं। इसलिए जीवन का सच्चा आनन्द तो केवल वर्तमान में ही जीने में हैं...

No comments:

Post a Comment