Saturday, April 9, 2016

अब तक के कठिन परिश्रम से यह शोध पाया हूँ क़ि पुरे रामचरित मानस में(तुलसी कृत)केवल यही दो चौपाई है जिसमे र और म अक्षर का प्रयोग नही हुआ  है क्या धर्मार्थके विद्ववान  इस पर अपना विचार रखना चाहेंगे कि ऐसा क्यों?
देखी निषादनाथ भल टोलू। कहेउ बजाउ जुझाऊ ढोलू॥
एतना कहत छींक भइ बाँए। कहेउ सगुनिअन्ह खेत सुहाए॥
भावार्थ:-निषादराज ने वीरों का बढ़िया दल देखकर कहा- जुझारू (लड़ाई का) ढोल बजाओ। इतना कहते ही बाईं ओर छींक हुई। शकुन विचारने वालों ने कहा कि खेत सुंदर हैं (जीत होगी)॥

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