Sunday, April 24, 2016

गणेशजी की वो गुप्त व रोचक बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं ।
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भगवान गणेशजी को विघ्नहर्ता ,मंगलमूर्ती,लम्बोदर ,वक्रतुण्ड आदि कई नामों से पुकारा जाता है।जितने विचित्र इनके नाम हैं उतनी ही विचित्र इनसे जुड़ी कथाएँ भी हैं।अनेक धर्म ग्रंथों में गणेशजी की कथाओं का वर्णन मिलता है।इन कथाओं में भगवान गणेशजी से जुड़ी हुई कई बातें ऐसी हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं।आज हम आपको श्री गणेश से जुड़ी हुई कुछ ऐसी ही रोचकव गुप्त बातें बता रहे हैं।
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१:-शिव महापुराण के अनुसार माता पार्वती को श्री गणेश का निर्माण करने का विचार उनकी सखियाँ जया और विजया ने दिया था ।जया-विजया ने पार्वती जी से कहा कि नन्दी आदि सभी गण सिर्फ़ महादेव की आज्ञा का ही पालन करते हैं।अतः आपको भी एक गण की रचना करनी चाहिए जो सिर्फ़ आपकी आज्ञा का पालन करे ।इस प्रकार विचार आने पर माता पार्वती ने श्री गणेश की रचना अपने शरीर के मैल से की ।
२:--शिव महापुराण के अनुसार श्री गणेश के शरीर का रंग लाल और हरा है।श्री गणेश को जो दूर्वा चढ़ाई जाती है वह जड़ रहित बारह अंगुल लम्बी और तीन गाँठों वाली होनी चाहिए ।ऐसी १०१या १२१दूर्वा से श्री गणेश की पूजा करनी चाहिए ।
३:--ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए पुण्यक नाम का व्रत रखा था ,इस व्रत के फल स्वरूप भगवान श्री कृष्ण पुत्र रूप में माता पार्वती को प्राप्त हुए ।
४:---ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जब सभी देवता श्री गणेश को आशीर्वाद दे रहे थे तब शनिदेव सिर नीचे किए हुए खड़े थे ।पार्वती द्वारा पूछने पर शनिदेव ने कहा कि मेरे द्वारा देखने पर आपके पुत्र का अहित हो सकता है लेकिन जब माता पार्वती के कहने पर शनिदेव ने बालक को देखा तो उसका सिर धड़ से अलग हो गया ।
५:---ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जब शनि द्वारा देखने पर माता पार्वती के पुत्र का मस्तक कट गया तो भगवान श्री हरि गरूड़ पर सवार होकर उत्तर दिशा की ओर गये और पुष्प भद्रा नदी के तट पर हथिनी के साथ सो रहे एक गज बालक का सिर काटकर ले आये ।उस गज बालक का सिर श्री हरि ने माता पार्वती के मस्तक विहीन पुत्र के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया ।
६:--ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एक बार किसी कारण वश भगवान शिव ने क्रोध में आकर सूर्य पर त्रिशूल से प्रहार किया ।इस प्रहार से सूर्य चेतना हीन हो गये ।सूर्य देव के पिता कश्यप ने जब यह देखा तो उन्हौंने क्रोध में आकर शिव जी को शाप दिया कि जिस प्रकार आज तुम्हारे त्रिशूल से मेरे पुत्र का शरीर नष्ट हुआ है ,उसी प्रकार तुम्हारे पुत्र का मस्तक भी कट जायेगा ।इसी शाप के कारण भगवान श्री गणेश का मस्तक कटने की घटना हुई..
 

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