Saturday, December 5, 2015

|| अगर भगवान के भक्तों से कोइ अपराध हो जये ||


     
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी:
प्रश्न० अगर भगवान के भक्तों से कोइ अपराध हो जये,उसके बाद भगवान की शरण में जाने से क्या भगवान उसके अपराध को छमा कर देते हैं?
पं. जगदीश प्रसाद द्विवेदी(धर्मार्थ. ):
मांगिये क्षमा सकल छल त्यागी।
प्रभु पूरक प्रेम अनुरागी
098697 52744‬: जी प्रभु ! उनकी ही शरण में जाने से उस भक्त का प्राश्चित पूर्ण होगा किन्तु वह सर्वप्रथम अपने आपको शरणागत करके पुनः पुण्य कर्म करे। परंतु प्रायश्चित तो करना ही होगा
पं सत्य प्रकाश अनुरागी जी:
सन्मुख होइ जीव मोहि जबहीं ।
कोटि जन्म अघ नासउ तबहीं ।।
रहति न चित चूक किये की ।
करत सूरति सय बार हिये की ।
      भगवान् भक्त के अपराध पर ध्यान  ही नहीं देते हैं, पर  प्रथम भक्ति तो मिले !आप  कैसे  समझेंगे कि हम  या  कोई  और भक्त  है ?
         ब्यक्तिगत मेरा मत तो यह कि जब सब के लिए वंदन का भाव हृदय में जागृत हो जाय  तो समझें की भक्ति का  प्रादुर्भाव  हो रहा है
पं. जगदीश प्रसाद द्विवेदी(धर्मार्थ. ):
अस अपराध कियो जाही सो ।
मागिय क्षमा बेगि ताही सो
पं. जगदीश प्रसाद द्विवेदी(धर्मार्थ. ): ईश्वर को अपराध का नही भाव भक्ति का ध्यान रहता है और अपनी गलती के एहसास से बड़ा प्रायश्चित कुछ नही। सिर्फ संकल्प लेवे कि कन्हैया अब दुबारा गलती से भी गलती न हो।


पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830 

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