Monday, December 21, 2015

|| उत्कृष्ट सृजन है ये मन को भाता ||

     
आलोक जी
उत्कृष्ट सृजन है ये मन को भाता
         पढ़कर अतीव आनन्द हुआ।
नर नारायण की मुखर कल्पना से
         स्नेह सच्चिदानंद हुआ।।
अब तक की सारी कृतियों से
        ये रचना कुछ न्यारी निकली
जो अपनी तस्वीर बनाई
        वो तस्वीर तुम्हारी निकली।।


पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830 

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