Saturday, December 5, 2015

|| जिस समय रावण को के पता चलता है ||


     
जिस समय रावण को के पता चलता है की कौशल्या के पुत्र के द्वारा हमारी मृत्यु होगी रावण स्वयं कौशल्या को विवाह मंडप से उठाकर सिंगल दीप जो लंका के समीप में है ले लिया और सिंगल दीप पर कौशल्या को रख कर के लंका वापिस गया साथ में दशरथ जी एवम सुमंत जी को a1 पिटारी में बंद करके समुद्र में बहा दिया में ताड़का दशरत के रूप पर आकर्षित थी इसलिए दशरथ की सुरक्षा के लिए उस फेटी को बहा  करके उन्हें सिंगल दीप पर लेकर गई और दसरथ से  में विवाह करने के लिए कहा  मगर दशरथ जी ने मना कर दिया तो14 वर्ष की राज गद्दी ताड़का ने मांगा था दशहरा जी स्वीकार कर लिया ताड़का वहां से चली जाती है सिंगल दीप ही कौशल्या और दशरथ का मिलन होता है वहीं पर गर्भ में विभीषण जी का आगमन होता है लेकिन और पूर्ण विवाह ना होने की वजह से वहां पर विभीषण  का त्याग करके सामाजिक परिवेश को देखते हुए  सुमंत जी दशरथ कौशल्या का पाणिग्रहण संस्कार ब्राह्मण होने के नाते वही पूर्ण करवाते हैं और वापस अयोध्या आते हैं क्योंकि विश्रवा ऋषि की पत्नी मालिनी ऋषि कन्या  होते हुए भी कब गगन चरी थी वह आकाश मार्ग से उड़ रही थीजो  बच्चे को देखा भूख से व्याकुल होने के कारण बालक को निकल गई महर्षि विस्रवा ने ध्यान लगाकर देखा ढोल इस बालक को योग बल के द्वारा अपने दूसरी पत्नी मालिनी के गर्भ में विभीषण जी का जन्म कराया और अपनी पत्नी मालिनी को बताया है कि राक्षस वंश का कुल दीपक होगा किस लिए इस बालक का जीना जरूरी है आगे चलकर परमात्मा राम का भक्त होगा भविष्य में 14 रामायण बने हुए हैं कंब रामायण से लेकर तुलसीकृत रामायण शादी अध्यात्म रामायण में  प्राचीन कथाएं दी गई है शास्त्र परंपरा के अनुसार जिस विभीषण मालिनी का पुत्र हुआ यह कथा हम दे के कल्याण के लिए भक्ति खंड में पड़ी है और स्वामी करपात्री जी की कथा में सुनी है वहां की आप लोग विद्वान हो तालुका के 14 वर्ष के कथा और आगे हैं बाद में बताएंगे


पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830  

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