आज का सुना मोर भैया ग्रुप अकेला रोये।
कहत कहत थर्राए की घरे न पण्डित होये।
हम तौ ज्ञानीन पर इतरात रहे अब ज्ञानी ही है खोये ।
कहत कबीर खाली बा चुकिया दही न केउ बिलोए।।
सुना होइगा ज्ञान के कोलिया खड़ी बेढौटी सोये।
नही बचीबा गो भी पा लक खडी बिलौटी रोये।।
सबै राग बेराग भये अब सत्य कहू न होये।
मंगल केर अमंगल लागत लोक शोष सब सोये।।
नील पील सब रवी फसल के आस ब्यास सब खोये।
ॐ सहित श्री राम हराने चित्र कूट बन अब रोये।।
ई दुनिया का अंधेर गर्द में ज्ञान गगरिया के ढोये।
कहत महाकाल हो भैया केउ नही बा तोर सुनईया पण्डित सब है सोये।।।
कहत कहत थर्राए की घरे न पण्डित होये।
हम तौ ज्ञानीन पर इतरात रहे अब ज्ञानी ही है खोये ।
कहत कबीर खाली बा चुकिया दही न केउ बिलोए।।
सुना होइगा ज्ञान के कोलिया खड़ी बेढौटी सोये।
नही बचीबा गो भी पा लक खडी बिलौटी रोये।।
सबै राग बेराग भये अब सत्य कहू न होये।
मंगल केर अमंगल लागत लोक शोष सब सोये।।
नील पील सब रवी फसल के आस ब्यास सब खोये।
ॐ सहित श्री राम हराने चित्र कूट बन अब रोये।।
ई दुनिया का अंधेर गर्द में ज्ञान गगरिया के ढोये।
कहत महाकाल हो भैया केउ नही बा तोर सुनईया पण्डित सब है सोये।।।
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
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