Monday, December 21, 2015

|| दहकते लाल सूरज ||

     
सूरज,
ओ, दहकते लाल सूरज!
बुझे
मेरे हृदय में
ज़िन्दगी की आग
            भर दो!
थके निष्क्रिय
तन को
स्फूर्ति दे
गतिमान कर दो!
सुनहरी धूप से,
आलोक से -
परिव्याप्त
हिम / तम तोम
            हर लो!
सूरज,
ओ लहकते लाल सूरज!


पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830 


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