Wednesday, December 30, 2015

हरिः ॐ तत्सत्!  शुभसन्ध्या।
सर्वेभ्यो भक्तेभ्यो देवभाषारसरसिकेभ्यश्च नमो नमः। 🙏🌺🙏
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः॥
(श्रीमद्भगवद्गीता-३/३५)

आप सब विचार करें,  अपना धर्म पालन करने में कदाचित् कठिन जान पड़े तो भी उसी का अनुगमन समुचित है। स्वधर्म के अनुपालन में यदि प्राणों को न्योछावर करना पड़े, तो भी वह सम्पूज्य और श्रेष्ठ माना जाता है।
विचार कीजिए - दूसरों की बड़ी-बड़ी हवेलियों को देखकर. क्या हम अपने घास-फूस के छप्परों को तोड़ डाले या फूँक दें?
जबकि ऐसा नहीं है- सनातन धर्म पूर्ण रूप से वैज्ञानिक धरातल और तर्क की कसौटी पर खरा और सर्वमान्य है।
इसलिए पाश्चात्य कुसंस्कृति का अनुकरण करना, अपने सद्ग्रंथों और महापुरूषों की अवमानना है।
🌺सत्य सनातन धर्म की जय हो।🌺

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