





प्रकृति प्रदत पुरस्कार
जो मनुष्य दूसरों का भला करके भूल जाते हैं उनका हिसाब प्रकृति स्वयं याद रखा करती है मगर जो मनुष्य आदतन अपने पुण्यों का बहीखाता लिये फिरते हैं इस प्रकृति द्वारा फिर उनके पुण्य कर्मों को विस्मृत कर दिया जाता है।
जो भी पुण्य तुम्हारे द्वारा संपन्न किये जाते हैं, सत्य समझ लेना यह प्रकृति निश्चित ही उन्हें संचित कर देती है और आवश्यकता पड़ने पर आपकी विस्मृति के बावजूद भी उनका यथा योग्य फल अवश्य ही दे दिया करती है।
याद रखना मनुष्य केवल खाता रख सकता है मगर उसका परिणाम घोषित नहीं कर सकता, वह अधिकार तो केवल और केवल इस प्रकृति के पास ही सुरक्षित है। अतः भला करो और भूल जाओ उचित समय आने पर प्रकृति स्वयं पुरुस्कृत कर देती है
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
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