पुष्प वाटिका में श्री राम और जानकी का नेत्र मिलन हुआ । जानकी जी ने श्री राम को अपने हृदय कमल में बसाकर माता गिरिजा की वन्दना की ।
जय जय गिरिराज किसोरी ।
जय महेस मुख चंद चकोरी ॥
जय महेस मुख चंद चकोरी ॥
जय गज बदन षडानन माता ।
जगत जननि दामिनि दुति गाता ॥
जगत जननि दामिनि दुति गाता ॥
नहिं तव आदि मध्य अवसाना ।
अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना ॥
अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना ॥
भव भव बिभव पराभव कारिनि ।
बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि ॥
बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि ॥
सेवत तोहि सुलभ फल चारी ।
बरदायनी पुरारि पिआरी ॥
बरदायनी पुरारि पिआरी ॥
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे ।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे ॥
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे ॥
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
No comments:
Post a Comment