Monday, October 12, 2015

|| जो जानत सो कहत नहीं ||


     
जो जानत सो कहत नहीं ।
कहत सो जानत नाही।
रहिमन बात अगम्य की ।
कहन सुनन को नाही।।
गुप्त मन्त्र तंत्र व साधनाए अथवा गूढ़ ज्ञान गूढ़ है ही इसीलिए क्योकि व प्रकाशित नहीं।
और जो भी प्रकाशित है वो गूढ़ नहीं।
जो गूढ़ को जनता है वो कहता नही।
जो कहता है वो जानता ही नहीं।
अगम्य की बाते अनुभव की जाती है।
जो प्रयोग करके ही आ सकता है उसे किसी भी भाषा में समझाया नही जा सकता।
जयतु श्रेमन्न्नरायणः।
सर्वेभ्यो शुभ संध्याह्।
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830

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