मन्त्रे तीर्थेन् द्विजे देवे दैवज्ञे भैषज गुरौ।
याद्दशी भावना यस्य सिद्धिर्भवति तादृशी।।
अर्थात् मन्त्र, तीर्थ, ब्राह्मण,देवता, ज्योतिषी, औषधि
तथा गुरु में जिसकी जैसी भावना होती है, उसे वैसी
ही सिद्धि प्राप्त होती हैं।
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
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