अहंकार का पुतला मनुष्य प्रभु की इच्छा को उनकी आज्ञा को स्वीकार नहीं करता और अपने ही निर्बल कन्धों पर अपना बोझ उठाये फिरता है। इतना ही नहीं दुनिया का भार उठाने का दम भरता है । यही कारण है कि निराशा, चिन्ताएँ, दु:ख, रोग, असफलतायें उसे घेरे हुए हैं और रात दिन व्याकुल सा सिर धुनता हुआ मनुष्य अत्यन्त परेशान सा दिखाई देता है ।
जो चैतन्य सत्ता इस स्थूल संसार का धारण पोषण कर रही है, जो आत्म स्वरुप में सब में व्याप्त हैं, वह प्रेम ही है । व्यष्टि और समष्टि में आत्मा का वह प्रेम प्रकाश ही ईश्वर की मंगलमयी रचना का सन्देश दे रहा है । जब मनुष्य आत्मा के उस प्रेम प्रकाश का अवम्बलन लेता है तभी वह संसार को आनन्द और सुखों का घर मानने लगता है और तभी उसे सच्चा सुख मिलता है । प्रेम ही आत्मा का प्रकाश है । जो इस प्रकाश में जीवन पथ पर अग्रसर होता है, उसे संसार शूल नहीं फूल नजर आता है, दु:खों का घर नहीं वरन् स्वर्ग मालूम होता है ।
अहंकार वश प्रभु की इच्छा के विपरीत चलकर कभी सुख शान्ति मिल सकती है ? नहीं कदापि नहीं । हमें अपने हृदय मन्दिर में से अहंकार, वासना, राग-द्वेष को निकालकर रिक्त करना होगा और ईश्वरेच्छा को सहज रुप में काम करने देना होगा तभी जीवन यात्रा सफल हो सकेगी
अहंकार की सीमाओं में प्रेम बदरिया नहीं बरसती








अहंकार की सीमाओं में प्रेम बदरिया नहीं बरसती
भेद भावना की बस्ती में ज्योति ज्ञान की नहीं सुलगती |
अहंकार की सीमाओं में प्रेम बदरिया नहीं बरसती
भेद भावना की बस्ती में ज्योति ज्ञान की नहीं सुलगती |
चुभे नहीं कांटे जिस ऊँगली में वो परपीड़ा नहीं समझती
नाम नयन सुख रख देने से अंधी आँखें नहीं सुधरती |
नाम नयन सुख रख देने से अंधी आँखें नहीं सुधरती |
अधजल गगरी जितना थामो छलक छलक गिर जाती है
ज्वाला एक दिन क्रोध की अपने ही घर लग जाती है |
ज्वाला एक दिन क्रोध की अपने ही घर लग जाती है |
काजल को कितना भी धो दो उसकी रंगत नहीं निखरती
नाम नयन सुख रख देने से अंधी आँखें नहीं सुधरती |
नाम नयन सुख रख देने से अंधी आँखें नहीं सुधरती |
टेढ़ी लकड़ी को सब केवल आग लगाकर ही तपते हैं
बंजर जंगल में केवल जहरीले विचरण करते हैं |
बंजर जंगल में केवल जहरीले विचरण करते हैं |
गोभी के फूलों की खुसबू उपवन में नहीं बिखरती
नाम नयन सुख रख देने से अंधी आँखें नहीं सुधरती |
नाम नयन सुख रख देने से अंधी आँखें नहीं सुधरती |
तिल का ताड़ बनाने वाले बीमारी के पंजर केवल
बगिया को बंजर करते हैं बिगड़े हुए जानवर केवल |
बगिया को बंजर करते हैं बिगड़े हुए जानवर केवल |
पेड़ खजूर तले इन्सां को छावं कभी भी नहीं पसरती
नाम नयन सुख रख देने से अंधी आँखें नहीं सुधरती |







नाम नयन सुख रख देने से अंधी आँखें नहीं सुधरती |
पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830
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