Tuesday, October 6, 2015

|| दूलह राम, सीय दुलही री ||

     

||दूलह राम, सीय दुलही री||
मंगल गान और नगाड़ों की ध्वनि से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड गूँज उठा । दूल्हा राम और दुल्हन जानकी की अनुपम छवि देखकर सभी देवतागण पुलकित हो उठे ।
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दूलह राम, सीय दुलही री ।
घन दामिनि बर बरन हरन मन ।
सुन्दरता नख सिख निबही री ॥
तुलसीदास जोरी देखत सुख ।
सोभा अतुल न जात कही री ॥
रूप रासि विरचि बिरंचि मनु ।
सिला लमनि रति काम लही री ॥


पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830  

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