Wednesday, October 7, 2015

|| आज का भगवद चिन्तन ||


श्री राधे कृष्णा
~~~~~~~~~~~~आज का भगवद चिन्तन
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    माना कि जीवन का उद्देश्य परम शांति को प्राप्त करना है मगर बिना संघर्ष के जीवन में शांति की प्राप्ति हो पाना कदापि सम्भव नहीं है। शांति मार्ग नहीं अपितु लक्ष्य है। बिना संघर्ष पथ के इस लक्ष्य तक पहुँचना असम्भव है।
       जो लोग पूरे दिन को सिर्फ व्यर्थ की बातों में गवाँ देते हैं वे रात्रि की गहन निद्रा के सुख से भी वंचित रह जाते हैं। मगर जिन लोगों का पूरा दिन एक संघर्ष में, परिश्रम में, पुरुषार्थ में गुजरता है वही लोग रात्रि में गहन निद्रा और गहन शांति के हकदार भी बन जाते हैं।
        जीवन भी ठीक ऐसा ही है। यहाँ यात्रा का पथ जितना विकट होता है लक्ष्य की प्राप्ति भी उतनी ही आनंद दायक और शांति प्रदायक होती है। मगर याद रहे लक्ष्य श्रेष्ठ हो, दिशा सही हो और प्रयत्न में निष्ठा हो फिर आपके संघर्ष की परिणिति परम शांति ही होने वाली है।
         जो काम धीरे बोलकर, मुस्कुराकर और प्रेम से बोलकर कराया जा सकता है उसे तेज आवाज में बोलकर और चिल्लाकर करवाना मूर्खों का काम है। और जो काम केवल गुस्सा दिखाकर हो सकता है, उसके लिए वास्तव में गुस्सा करना यह महामूर्खों का काम है        अपनी बात मनवाने के लिए अपने अधिकार या बल का प्रयोग करना यह पूरी तरह पागलपन होता है। प्रेम ही ऐसा हथियार है जिससे सारी दुनिया को जीता जा सकता है । प्रेम की विजय ही सच्ची विजय है।
       आज प्रत्येक घर में ईर्ष्या, संघर्ष, दुःख और अशांति का जो वातावरण है उसका एक ही कारण है और वह है प्रेम का अभाव। आग को आग नहीं बुझाती पानी बुझाता है। प्रेम से दुनिया को तो क्या दुनिया बनाने वाले तक को जीता जा सकता है। पशु -पक्षी भी प्रेम की भाषा समझते है। तुम प्रेम बाटों, इसकी खुशबू कभी ख़तम नहीं होती ।
        
        जबसे हमने उपहार बाँटना सीखा है, हम प्यार बाँटना भूल गए हैं। जीवन में उपहार वो भूमिका अदा नहीं कर सकता जो कि प्यार करता है। उपहार मात्र किसी के दुःख को छिपा सकता है, मिटा नहीं सकता, उसके लिए तो प्यार हो औषधि है। उपहार मात्र एक सांत्वना है और प्यार महाऔषधि।
     साल भर माँ-बाप से दूर रहकर एक दिन  " मदर्स डे  "  पर उन्हें एक गुलाब का फूल पकड़ा देना कोई मायने नहीं रखता। जरा उनसे ही पूछकर देख लेना, वे आपसे किसी महंगे उपहार की या लग्जरी कार की नहीं अपितु थोड़े से प्यार की अपेक्षा रखते हैं।
        उपहार प्यार से ही देना चाहिए, प्यार के बदले नहीं। जिस दिन आपके दिल में प्यार होगा फिर हाथ में उपहार होगा, उस दिन सामने वाले की आँखों में आपके लिए आंसू होंगे। आज का आदमी उपहार बाँटना तो सीख गया मगर प्यार बांटना नहीं। काश विज्ञान के इस युग में हम अपना थोड़ा-थोड़ा प्यार डिब्बों में बंद कर-कर दूसरों को गिफ्ट करना सीख जाएं।
                    सच मानिये आज आदमी अपने दुःख से कम दुःखी और दूसरों के सुख से ज्यादा दुःखी है। आज आदमी इसलिए दुखी नहीं कि उसके पास कम है अपितु इसलिए दुखी है कि दूसरे के पास अधिक है।
        हमारे शास्त्रों ने इसे " मत्सर " भाव कहा है। यह मत्सर भी मच्छर की तरह खून चूसता है। मगर दोनों में एक अंतर यह है कि मच्छर दूसरे का खून चूसता है मत्सर स्वयं का। दूसरों को देखकर जीना खुद को दुखाकर जीने जैसा है।
       किसी क़ी खुशी को देखकर जलना उस मशाल की तरह जलना है, जिसे दूसरों को खाक करने से पहले स्वयं को राख़ करना पड़ता है। आपके पास जो है वह निसंदेह पर्याप्त है।
         जो है उसके लिए परमात्मा को धन्यवाद दो, जो नहीं मिला उसके लिए किसी को दोष देने की वजाय अपनी योग्यता को बढाओ। आपके लिए शर्त मात्र इतनी कि दूसरे के पास कितना है यह देखना बंद किया जाए।
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              जिन्दगी होश में जिओ, होड़ में नहीँ

पं मंगलेश्वर त्रिपाठी
से.1वाशी नवी मुम्बई
8828347830 

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